लेखिका के बारे में

सुसान हिल, 5 फरवरी, 1942 को जन्मी, एक प्रसिद्ध अंग्रेजी उपन्यासकार और नॉनफिक्शन राइटरहैं। उन्होंने "द वूमन इन ब्लैक," "द मिस्ट इन द मिरर," और "आई एम द किंग ऑफ द कैसल" जैसी उल्लेखनीय रचनाएँ लिखी हैं। 1971 में, हिल को उनके उपन्यास "आई एम द किंग ऑफ द कैसल" के लिए समरसेट मौघम पुरस्कार मिला। साहित्य में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें 2012 के बर्थडे ऑनर्स में कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर के रूप में सम्मानित किया गया था। हिल का लेखन चिंता, अकेलापन, वास्तविक दुःख और आशा जैसे विषयों की खोज के लिए जाना जाता है, जो उनके कार्यों में परिलक्षित होता है।

On the Face of It

Before You Read

यह एक नाटक है जिसमें एक वृद्ध व्यक्ति और एक छोटे लड़के को वृद्ध व्यक्ति के बाग में मिलते हुए दिखाया गया है। उस वृद्ध व्यक्ति की उस लड़के से मित्रता हो जाती है जो बहुत गुमसुम और विद्रोही है। वह कौन-सा बन्धन है जो उन्हें एक कर देता है?

पहला दृश्य:

श्रीमान् लैम्ब का बाग [रुक-रुक कर चिड़ियों के गीत और पत्तियों की सरसराहट की आवाज हो रही है। लम्बी घास में से होकर धीरे-धीरे सतर्कता से चलते हुए डैरी के कदमों की आवाज सुनाई देती है। वह एक क्षण के लिए रुकता है, फिर पुनः चल देता है। वह झाड़ियों की ओट में आता है, जिससे कि जब श्रीमान् लैम्ब उससे बोलते हैं तो वह बिल्कुल पास होते हैं और डैरी चौंक उठता है।]

On The Face Of It  (In Hindi: A Review of the Translation)

रीमान् लैम्ब: सेबों का ध्यान रखना!

डैरी: क्या? कौन है? वहाँ कौन है?

श्रीमान् लैम्ब: मेरा नाम लैम्ब है। सेबों का ध्यान रखना। ये छोटे, कड़े और खट्टे सेब हैं। हवा के कारण लम्बी घास में गिरे हुए हैं। तुम्हारे पैर से टकरा सकते हैं।

डैरी: मैं…….वहाँ………मैंने सोचा यह एक सुनसान स्थान है। मैं नहीं जानता था कि यहाँ कोई है……..

श्रीमान् लैम्ब : बिल्कुल ठीक। मैं यहाँ हूँ। तुम किस बात से डरे हुए हो, लड़के? सब कुछ ठीक-ठाक है।

डैरी: मुझे लगा यह सुनसान है…………………….एक सुनसान घर।

श्रीमान् लैम्ब: वह तो है। क्योंकि मैं यहाँ बाहर बाग में हूँ। घर खाली है, जब तक मैं वापस अन्दर नहीं जाता। इस बीच, मैं यहाँ बाहर हूँ और यहीं रुकने वाला हूँ। ऐसे दिन में तो जरूर। यह एक सुहावना दिन है। यह अन्दर रहने का दिन नहीं है।

डैरी: (अचानक घबरा जाता है) मुझे जाना है।

श्रीमान् लैम्ब: मेरे कारण मत जाओ। मैं इस बात की परवाह नहीं करता कि मेरे बाग में कौन आता है । दरवाजा हमेशा खुला रहता है। तुम ही बाग की दीवार पर चढ़कर आये।

डैरी: (क्रोधित होकर) आप मुझ पर नजर रख रहे थे।

श्रीमान् लैम्ब: मैंने तुम्हें देखा। लेकिन दरवाजा खुला हुआ है। सबका स्वागत है। तुम्हारा स्वागत है। मैं यहाँ बैठा हुआ हूँ। मुझे बैठना पसन्द है।

डैरी: मैं कुछ चुराने के लिए नहीं आया।

श्रीमान् लैम्ब: नहीं, नहीं। चुराते तो छोटे लड़के हैं……..वे सेबों के स्वाद का आनन्द लेते हैं। तुम उतने छोटे नहीं हो।

डैरी : मैं बस……………..अन्दर आना चाहता था। बाग में।

श्रीमान् लैम्ब: सो तुमने किया। हम यहाँ हैं, फिर। 

डैरी: आप नहीं जानते मैं कौन हैं?

श्रीमान् लैम्ब: एक लड़के। लगभग तेरह वर्ष की आयु के।

डैरी: चौदह। (एक क्षण के लिए रुकता है। लेकिन अंब मुझे जाना है। अलविदा।

श्रीमान् लैम्ब: डरने की कोई बात नहीं है। एक बाग ही तो है। मैं ही तो हूँ।

डैरी: लेकिन मैं नहीं……..मैं नहीं डर रहा हूँ। (एक क्षण के लिए रुकता है) लोग मुझसे डरते हैं।

श्रीमान् लैम्ब: भला ऐसा क्यों होगा?

डैरी: प्रत्येक व्यक्ति मुझसे डरता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कौन हैं, या वे क्या कहते हैं, या वे कैसे दिखते हैं। वे कैसा दिखावा करते हैं। मैं जानता हूँ। मैं समझ सकता हूँ।

श्रीमान् लैम्ब: क्या समझ सकते हो?

डैरी: कि वे क्या सोचते हैं?

श्रीमान् लैम्ब: तो, वे क्या सोचते हैं?

डैरी: आप सोचेंगे…, ‘यहाँ एक लड़का है।’ आप मुझे देखेंगे……….और फिर आप मेरा चेहरा देखेंगे और सोचेंगे, ‘यह बुरा है। यह भयानक है। यह मेरे द्वारा कभी देखी गई सबसे कुरूप चीज है।’ आप सोचेंगे, ‘बेचारा लड़का।’ परन्तु मैं ऐसा नहीं हूँ। मैं बेचारा नहीं हूँ। अन्दर ही अन्दर आप मुझसे डरे होंगे। कोई भी डरेगा। मैं भी डर जाता हूँ। जब मैं दर्पण में देखता हूँ, और अपना चेहरा देखता हूँ तो मैं स्वयं से डर जाता हूँ।

श्रीमान् लैम्ब: नहीं, तुम पूरी तरह से कुरूप नहीं हो। तुम कुरूप नहीं हो।

डैरी: हाँ! (एक क्षण की चुप्पी)|

श्रीमान् लैम्ब: बाद में जब मौसम कुछ और ठण्डा हो जायेगा तो मैं सीढ़ी पर चढ़कर किसी छड़ी से उन छोटे, कठोर खट्टे सेबों को गिरा लूँगा। वे इतना पक चुके हैं। मैं जेली बनाऊँगा। यह वर्ष का एक अच्छा समय है, सितम्बर। देखो उन्हें……नारंगी और सुनहरे रंग के। यह जादुई फल है। मैं अक्सर यह कहता हूँ। लेकिन सबसे अच्छा तब होता है जब यह स्वयं टूटकर जमीन पर गिरे और इसे उठाकर इसकी जेली बनायी जाये। तुम जरा मुझे हाथ दोगे।

डैरी: आपने विषय क्यों बदल दिया है? लोग हमेशा यही करते हैं। आप मुझसे पूछते क्यों नहीं? आप वही क्यों करते हो जो अन्य सभी लोग करते हैं और फिर आप दिखावा करते हैं कि यह सच नहीं है और आपका व्यवहार ऐसा नहीं है? यदि मैं देख लूँ कि आप मेरी ओर देख रहे हैं और आपको बुरा लग रहा है और मैं परेशान हो जाऊँ तो क्या? मैं कहूँगा……….आप मुझसे इसलिए नहीं पूछ रहे हैं क्योंकि आप पूछने से डरते हैं।

श्रीमान् लैम्ब: तुम चाहते हो कि मैं पूछूं………. फिर, बताओ।

डैरी: मुझे लोगों का साथ पसन्द नहीं है। किसी का भी नहीं।

श्रीमान् लैम्ब: मैं कहूँगा..इसे देखकर……….मैं कहूँगा, तुम आग में जल गये थे।

डैरी: आग में नहीं। मेरे चेहरे के इस पूरी ओर तेजाब गिर गया था और यह पूरी तरह जल गया। उसने मेरे चेहरे को खा लिया। उसने मुझे खा लिया। और अब यह ऐसा है और यह कभी भी जरा भी नहीं बदलेगा।

श्रीमान् लैम्ब: नहीं।

डैरी: क्या आपको रुचि नहीं है?

श्रीमान् लैम्ब: तुम एक लड़के हो जो बाग में आये। बहुत-से आते हैं। मुझे प्रत्येक में रुचि होती है। किसी भी चीज में। ईश्वर की बनाई कोई ऐसी चीज नहीं है जिसमें मुझे रुचि न हो। वहाँ देखो……….दूर स्थित उस दीवार के बगल में। तुम्हें क्या दिख रहा है?

डैरी: कचरा।

श्रीमान् लैम्ब: कचरा? देखो, लड़के, देखो………….तुम्हें क्या दिख रहा है?

डैरी: बस…….घास और बेकार की चीजें। खरपतवार।

श्रीमान् लैम्ब: कुछ लोग उन्हें खरपतवार कहते हैं। यदि तुम चाहो तो एक खरपतवार का बगीचा कह सकते हो। वहाँ फल हैं और वहाँ फूल हैं, और पेड़ हैं और औषधीय पौधे हैं। सब प्रकार की चीजें हैं। लेकिन वहाँ……….खरपतवार है। मैं वहाँ खरपतवार उगाता हूँ। एक हरे, बढ़ते हुए पौधे को खरपतवार और दूसरे को ‘फूल’ क्यों कहा जाता है? दोनों में अन्तर कहाँ है। सबमें जीवन है………विकसित होता हुआ। बिल्कुल वैसे ही जैसे कि तुम और मैं।

डैरी’: हम एक जैसे नहीं हैं।

श्रीमान् लैम्ब: मैं वृद्ध हूँ। तुम युवा हो। तुम्हारा चेहरा जला हुआ है। मेरी एक टाँग टिन की है। यह महत्त्वपूर्ण नहीं है। तुम वहाँ खड़े हुए हो………..मैं यहाँ बैठा हुआ हूँ। अन्तर कहाँ है?

डैरी: आपकी एक टाँग टिन की क्यों है?

श्रीमान् लैम्ब: असली वाली वर्षों पहले एक धमाके में उड़ गई। कुछ बच्चे कहते हैं, लंगडा लैम्ब। क्या तुमने उन्हें ऐसा कहते नहीं सुना है। सुन लोगे। लंगड़ा लैम्ब। मेरे लिए उचित ही है। इससे मुझे परेशानी नहीं होती है।

डैरी: लेकिन आप पायजामा पहनकर इसे ढक सकते हैं और किसी को दिखाई भी नहीं देगा, लोग ध्यान देकर घूरकर तो नहीं देखेंगे।

श्रीमान् लैम्ब: कुछ लोग घूरते हैं। कुछ नहीं घूरते हैं। अन्त में इससे ऊब जाते हैं। घूरने के लिए अन्य बहुत-सी चीजें हैं। 

डैरी: जैसे कि मेरा चेहरा।

श्रीमान् लैम्ब: जैसे कि छोटे कठोर खट्टे सेब या खरपतवार या रेशम की सीढ़ी (जाला) पर चढ़ती हुई एक मकड़ी, या मेरे ऊँचे सूरजमुखी के फूल।

डैरी: चीजें।

श्रीमान् लैम्ब: यह सब सापेक्ष है। सौंदर्य और जानवर। 

डैरी: इसका क्या मतलब है ?

श्रीमान् लैम्ब : तुम मुझे बताओ ।

डैरी: आपको यह सोचने की जरूरत नहीं है कि सब लोगों ने मुझे परियों की यह कहानी पहले नहीं सुनाई है। ‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कैसे दिखते हैं, महत्त्वपूर्ण यह होता है कि आप अन्दर से कैसे हैं। सुन्दर वह है जो सुन्दर कार्य करता है। सुन्दरता ने दैत्याकार जंगली जानवर को जैसा वह था, उसी रूप में प्रेम किया और जब उसने उसे (जंगली जानवर को) चूमा तो वह एक सुन्दर राजकुमार में बदल गया।’ बस काश वह न बदलता, उसे एक दैत्याकार जंगली जानवर ही बने रहना चाहिए था। मैं नहीं बदलूँगा।

श्रीमान् लैम्ब: उस तरह से? नहीं तुम नहीं बदलोगे।

डैरी: और कोई मुझे कभी चूमेगा भी नहीं। बस मेरी माँ और वह भी मेरे चेहरे के दूसरी ओर चूमती है, और मुझे मेरी माँ का मुझे चूमना पसन्द नहीं है, वह मुझे इसलिए चूमती है क्योंकि वह इसे अपना कर्त्तव्य समझती है। मैं यह पसन्द क्यों करूँ। यदि कोई भी मुझे कभी भी न चूमे, मुझे इसकी परवाह नहीं है।

श्रीमान् लैम्बं: आह, पर क्या तुम्हें इस बात की परवाह है कि तुम कभी किसी को न चूमो।

डैरी: क्या?

श्रीमान् लैम्ब: लड़कियाँ। सुन्दर लड़कियाँ। लम्बे बालों और बड़ी-बड़ी आँखों वाली लड़कियाँ। वे लोग जिन्हें तुम प्रेम करते हो।

डैरी: मुझे कौन स्वयं को चूमने देगा? कोई भी नहीं।

श्रीमान् लैम्ब: कौन कह सकता है?

डैरी: मैं कभी अलग नहीं दिखूगा। जब मैं आपके जितना वृद्ध हो जाऊँगा तब भी मैं ऐसा ही दिखूंगा। मेरा चेहरा तब भी आधा ही रहेगा।

श्रीमान् लैम्ब: वह तो है कि तुम ऐसे ही रहोगे। परन्तु संसार ऐसा नहीं रहेगा। संसार का चेहरा पूरा है, और उस संसार को देखना है।

डैरी: क्या आपको लगता है यह संसार है? यह पुराना बाग?

श्रीमान् लैम्ब: जब मैं यहाँ हूँ। अकेला नहीं। लेकिन संसार, उतना ही जितना कहीं भी है। (अर्थात् जब इस संसार में कोई है तो यह भी संसार भी है।) 

डैरी: क्या तुम्हारी टाँग में दर्द होता है?

श्रीमान् लैम्ब: टिन में दर्द नहीं होता, लड़के!

डैरी: जब तुम्हारी टाँग चली गई थी, क्या उस समय तुम्हें दर्द हुआ था?

श्रीमान् लैम्ब: निश्चित ही हुआ था।

डैरी: और अब? मेरा मतलब है उस स्थान पर जहाँ टिन समाप्त होती है, ऊपर?

श्रीमान् लैम्ब: कभी-कभी। बरसात में। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

डैरी: ओह, यह एक अलग बात है जो सब लोग कहते हैं। ‘उन सब लोगों को देखो जो दुखी हैं और फिर भी बहादुर हैं और कभी नहीं रोते हैं और कभी शिकायत नहीं करते हैं और अपने लिए। अफसोस नहीं करते हैं।’

श्रीमान् लैम्ब: मैंने यह नहीं कहा है।

डैरी: और उन सब लोगों के बारे में सोचो जो तुमसे अधिक बुरी दशा में हैं। सोचो, तुम अन्धे हो सकते थे, या बहरे पैदा हो सकते थे, या तुम्हें पहियों वाली कुर्सी पर रहना पड़ सकता था, या तुम दिमाग से पागल हो सकते थे और लार टपकाते रहते।

श्रीमान् लैम्ब: और यह सब सच है, और तुम यह जानते हो।

डैरी: इससे मेरा चेहरा तो नहीं बदलेगा। क्या आप जानते हैं, एक दिन एक गली में एक महिला मेरे निकट से गुजरी – मैं बस स्टॉप पर था- और वह एक और महिला के साथ थी, और उसने मुझे देखा, और बोली…फुसफुसायी….केवल मैंने उसकी बात सुनी….वह बोली, “उसे देखो, वह एक भयावह चीज है। वह एक ऐसा चेहरा है जिसे केवल एक माँ प्रेम कर सकती है।”

श्रीमान् लैम्ब: तो तुम अपनी सुनी प्रत्येक बात पर विश्वास करते हो, फिर?

डैरी: यह बहुत निर्दयतापूर्ण बात थी।

श्रीमान् लैम्ब: शायद इसका वह मतलब न हो जो तुमने समझा। यह बस उनके बीच कही गई एक बात हो।

डैरी: बस मैंने सुन लिया। मैंने सुन लिया।

श्रीमान् लैम्ब: और क्या यही एकमात्र बात थी जो तुमने अपने जीवन में कभी किसी को कहते हुए सुनी?

डैरी: ओह नहीं। मैंने बहुत-सी बातें सुनी हैं।

श्रीमान् लैम्ब: तो अब तुम अपने कान बन्द रखना।

डैरी: आप…अजीब हैं। आप अजीब बातें करते हैं। आप ऐसे प्रश्न पूछते हैं जो मेरी समझ से बाहर होते हैं।

श्रीमान् लैम्ब: मुझे बातें करना पसन्द है। लोगों का साथ पसन्द है। तुम प्रश्नों का उत्तर देने के लिए बाध्य नहीं हो। तुम यहाँ रुकने के लिए जरा भी बाध्य नहीं हो। दरवाजा खुला हुआ है। 

डैरी: हाँ, लेकिन………

श्रीमान् लैम्ब: वहाँ उन पेड़ों के पीछे मेरा एक मधुमक्खियों का छत्ता है। कुछ लोग मधुमक्खियों की आवाज सुनकर कहते हैं कि वे भिनभिनाती हैं। परन्तु जब आप बहुत देर तक मधुमक्खियों की आवाज को ध्यान से सुनेंगे तो आप पायेंगे कि वे गुनगुनाती हैं…………… और गुनगुनाने का अर्थ होता है ‘गाना’। मैं उन्हें गाते हुए सुनता हूँ, मेरी मधुमक्खियों को।

डैरी: लेकिन………मुझे यहाँ अच्छा लग रहा है। मैं इसीलिए अन्दर आया क्योंकि मुझे यह स्थान अच्छा लगा……..जब मैंने दीवार के ऊपर से झाँका।

श्रीमान् लैम्ब: यदि तुम मुझे देख लेते तो तुम अन्दर नहीं आते।

डैरी : नहीं।

श्रीमान् लैम्ब : नहीं।

डैरी : यह गैरकानूनी प्रवेश होता।

श्रीमान् लैम्ब: आह! बस इसीलिए नहीं।

डैरी: मुझे लोगों के साथ होना पसन्द नहीं है। जब वे घूरते हैं…जब मैं उन्हें स्वयं से भयभीत देखता हैं।

श्रीमान् लैम्ब: तुम यह कर सकते हो कि स्वयं को एक कमरे में बन्द कर लो और उससे कभी बाहर न निकलो। एक आदमी ने यही किया था। वह डरता था, तुम समझ रहे हो। प्रत्येक चीज से डरता था। इस संसार की प्रत्येक चीज से। कोई बस उसे कुचल सकती थी, या फिर कोई आदमी अपनी सांस के साथ उस पर घातक कीटाणु छोड़ सकता था, या कोई गधा लात मारकर उसे मृत्यु के हवाले कर सकता था, या उस पर बिजली गिर सकती थी, या वह किसी लड़की को प्रेम करता और वह उसे छोड़कर चली जाती, या वह किसी केले के छिलके पर फिसलकर गिर जाता और उसे देखने वाले लोग बहुत देर तक उस पर जोर-जोर से हँसते। इसलिए वह एक कमरे में गया और दरवाजे पर अन्दर से ताला लगा लिया, और अपने बिस्तर में घुस गया, और वहीं रहा।

डैरी: हमेशा?

श्रीमान् लैम्ब: कुछ समय।

डैरी: फिर क्या हुआ?

श्रीमान् लैम्ब: दीवार से एक चित्र उसके सिर पर गिरा और वह मर गया। 

(डैरी बहुत हँसता है।)

श्रीमान् लैम्ब: समझे तुम?

On The Face Of It Full Chapter with Difficult Words
On The Face Of It Summary in English and Hindi
On The Face Of It Solution

डैरी: लेकिन…………आप अब भी अजीब बातें करते हैं।

श्रीमान् लैम्ब: कुछ लोगों को अजीब लगती हैं। 

डैरी: आप सारा दिन क्या करते रहते हैं?

श्रीमान् लैम्ब: धूप में बैठता हूँ। पुस्तकें पढ़ता हूँ। आह, तुम्हें लगा यह एक खाली घर है, परन्तु अन्दर से यह भरा हुआ है। पुस्तकों और अन्य चीजों से। भरा हुआ।

डैरी: लेकिन खिड़कियों पर पर्दे नहीं हैं।

श्रीमान् लैम्ब: मुझे पर्दो का शौक नहीं है। उन्हें बन्द करके चीजों को बाहर कर देना या अन्दर कर लेना। मुझे प्रकाश भी पसन्द है और अन्धकार भी, मुझे खुली खिड़कियाँ पसन्द हैं, हवा की आवाज सुनना पसन्द है।

डैरी: हाँ, मुझे भी यह पसन्द हैं। जब वर्षा हो रही होती है तो मुझे छत पर उसकी आवाज सुनना अच्छा लगता है।

श्रीमान् लैम्ब: तो तुम खोये हुए नहीं हो, क्या ऐसा है? पूरी तरह नहीं? तुम चीजों को सुनते तो हो, तुम ध्यान से सुनते हो।

डैरी: वे (मेरे माता-पिता) मेरे बारे में बातें करते हैं। सीढ़ियों से नीचे, जब मैं वहाँ नहीं होता हूँ। ‘वह कभी भी क्या करेगा? हमारे जाने के बाद उसका क्या होगा? वह इस संसार में कभी कैसे आगे बढ़ेगा? जबकि वह ऐसा दिखता है? चेहरे पर ऐसे निशान के साथ?’ वे ऐसा ही कहते हैं।

श्रीमान् लैम्ब: हे ईश्वर, लड़के, तुम्हारे पास दो हाथ हैं, दो पैर हैं, आँखें हैं और कान हैं, तुम्हारे पास एक जीभ है और एक मस्तिष्क है। तुम भी जैसे चाहो दूसरे लोगों की तरह आगे बढ़ सकते हो। और यदि तुम चुनो, और इस ओर अपना मस्तिष्क केन्द्रित करो तो तुम अन्य सभी लोगों से अधिक अच्छी तरह आगे बढ़ सकते हो।

डैरी: कैसे?

श्रीमान् लैम्ब: बिल्कुल वैसे ही जैसे कि मैं।

डैरी: क्या आपके कोई मित्र हैं?

श्रीमान् लैम्ब: सैकड़ों।

डैरी: पर आप तो उस घर में अकेले रहते हैं। साथ ही यह घर बड़ा भी है।

श्रीमान् लैम्ब: मेरे मित्र सब जगह हैं। लोग अन्दर आते हैं…………प्रत्येक व्यक्ति मुझे जानता है। दरवाजा हमेशा खुला रहता है। लोग आते हैं और यहाँ बैठते हैं। और सर्दी में आग के सामने बैठते हैं। बच्चे सेबों और नाशपातियों के लिए आते हैं। और टॉफी के लिए। मैं शहद से टॉफी बनाता हूँ। कोई भी आता है। इसी प्रकार तुम भी आये हो।

डैरी: लेकिन मैं कोई मित्र नहीं हूँ।

श्रीमान् लैम्ब: निश्चित रूप से तुम मित्र हो। जहाँ तक मेरा सम्बन्ध है। तुमने ऐसा क्या किया है कि मैं तुम्हें अपना मित्र न समझू।

डैरी: आप मुझे जानते नहीं हैं। आप नहीं जानते हैं कि मैं कहाँ से आया हूँ और आप मेरा नाम तक नहीं जानते हैं।

श्रीमान् लैम्ब: यह महत्व का क्यों हो? क्या तुम मेरे मित्र बन सको, उससे पहले मुझे तुम्हारा विस्तृत विवरण लिखकर एक फाइलिंग बॉक्स में व्यवस्थित रूप से रखना होगा।

डैरी: मुझे लगता है…… नहीं। बिल्कुल नहीं।

श्रीमान् लैम्ब: तुम मुझे अपना नाम बता सकते हो। यदि तुम चाहो। और यदि न चाहो तो मत बताओ।

डैरी: डैरी। बस यह डेरेक है…..लेकिन मुझे इससे घृणा है। डैरी। यदि मैं आपका मित्र बनता हूँ तो आप मेरे मित्र बनने को बाध्य नहीं हैं। यह मैंने चुना है।

श्रीमान् लैम्ब: निश्चित रूप से।

डैरी: शायद मैं यहाँ दोबारा कभी न आऊँ, शायद आप मुझे दोबारा कभी न देखें और तब मैं एक मित्र भी न रहूँ।

श्रीमान् लैम्ब: क्यों नहीं?

डैरी: मैं कैसे तब भी एक मित्र बना रह सकता हूँ। आप गली में लोगों के निकट से गुजरते हैं और शायद आप उनसे बात भी करें, पर आप कभी दोबारा उन्हें नहीं देखते हैं। इसका यह मतलब नहीं है कि वे मित्र हैं।

श्रीमान् लैम्ब: इसका यह मतलब भी नहीं है कि वे शत्रु हैं, क्या ऐसा है?

डैरी: नहीं, वे तो बस…………कुछ भी नहीं होते हैं लोग होते हैं। बस।

श्रीमान् लैम्ब: लोग कभी भी ‘बस कुछ भी नहीं’ नहीं होते हैं कभी नहीं।

डैरी: कुछ ऐसे लोग हैं जिनसे मैं घृणा करता हूँ।

श्रीमान् लैम्ब: इससे तुम्हें तेजाब की किसी बोतल से अधिक नुकसान होगा। तेजाब तो बस तुम्हारे चेहरे को जलाता है।

डैरी: बस……….

श्रीमान् लैम्ब: जैसे एक बम ने बस मेरी टाँग को उड़ाया। चीजें इससे अधिक बुरी भी हो सकती हैं। तुम स्वयं को अन्दर से जला सकते हो।

डैरी: मेरे घर आने के बाद एक व्यक्ति ने कहा, “अधिक अच्छा होता कि यह वहीं रहता, हॉस्पिटल में। अधिक अच्छा होता कि वह अपने जैसे लोगों के साथ रहता।” वह सोचती है कि अंधे लोगों को बस अंधे लोगों के साथ, और मूर्ख लड़कों को मूर्ख लड़कों के ही साथ रहना चाहिए।

श्रीमान् लैम्ब: और बिल्कुल बिना टाँगों वाले लोगों को?

डैरी: ठीक।

श्रीमान् लैम्ब: वह संसार कैसा होगा? 

डैरी: कम-से-कम वहाँ आपको घूरने वाला कोई नहीं होगा। इस कारण से कि आप उनके जैसे ही होंगे।

श्रीमान् लैम्ब: तो तुम्हें लगता है कि तुम बिल्कुल वैसे ही हो जैसे कि अन्य सभी जले हुए चेहरे वाले लोग? जैसे तुम दिखते हो, बस उसके कारण? आह…………सब कुछ अलग है, सब कुछ एक जैसा है, परन्तु सब कुछ अलग है। अपने आप में।

डैरी: आप यह सब कैसे समझते हैं?

श्रीमान् लैम्ब: देखकर। सुनकर। सोचकर।

डैरी: मैं इस तरह का स्थान पसन्द करूँगा। एक बाग। मैं एक बिना पर्दो वाला घर पसन्द करूँगा।

श्रीमान् लैम्ब: दरवाजा हमेशा खुला रहता है।

डैरी: परन्तु यह मेरा नहीं है।

श्रीमान् लैम्ब: यदि तुम चाहो तो सब कुछ तुम्हारा है। जो मेरा है, वह किसी का भी है।

डैरी: तो मैं यहाँ फिर आ सकता हूँ? भले ही आप बाहर हो……….मैं यहाँ आ सकता हूँ?

श्रीमान् लैम्ब: निश्चित रूप से। वास्तव में, तुम्हें यहाँ सम्भवतः और लोग भी मिलेंगे।

डैरी: ओह……………

श्रीमान् लैम्ब: खैर, उससे तुम्हें रुकने की जरूरत नहीं है, तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है।

डैरी: मेरे यहाँ आने से वे आने से रुक जायेंगे। उन्हें मेरा आना बुरा लगेगा। जब वे मुझे यहाँ देखेंगे, वे मेरे चेहरे को देखकर भाग जायेंगे।

श्रीमान् लैम्ब: सम्भवतः वे भाग जायें। सम्भवतः वे न भागें। तुम्हें जोखिम उठाना होगा। इसी प्रकार उन्हें भी।

डैरी: नहीं, जोखिम आपको उठाना होगा। मुझे पाकर आपको अपने अन्य सभी मित्रों को खोना पड़ सकता है, क्योंकि यदि उनके वश में हो तो कोई भी मेरे आस-पास नहीं रहना चाहता है। श्रीमान् लैम्ब: मैं तो तुम से दूर नहीं गया हूँ।

डैरी: नहीं …………..

श्रीमान् लैम्ब: जब मैं गली में निकलता हूँ, बच्चे चिल्लाते हैं ‘लंगड़ा लैम्ब’। लेकिन वे फिर भी बाग में आते हैं, मेरे घर में आते हैं; यह एक खेल है। उन्हें मुझसे डर नहीं लगता है। क्यों लगे? क्योंकि मुझे उनसे डर नहीं लगता है, इसीलिए नहीं।

डैरी: क्या आपकी टाँग युद्ध में उड़ गई थी?

श्रीमान् लैम्ब: निश्चित रूप से।

डैरी: फिर आप कैसे सीढ़ी पर चढ़कर ये छोटे कठोर खट्टे सेब तोड़ेंगे?

श्रीमान् लैम्ब: ओह, मैंने बहुत-सी चीजें सीख ली हैं, और इसमें बहुत समय लगा है। वर्षों। मैं इसे लगातार आगे बढ़ने वाली प्रक्रिया मानता हूँ।

डैरी: यदि आप गिर जायें और आपकी गर्दन टूट जाये तो हो सकता है आप घास पर पड़े रहें और मर जायें। यदि आप अकेले हों तो?

श्रीमान् लैम्ब: मेरे साथ ऐसा हो सकता है।

डैरी: आपने कहा मैं आपकी सहायता कर सकता हूँ।

श्रीमान् लैम्ब: यदि तुम चाहो तो।

डैरी: लेकिन मेरी माँ जानना चाहेंगी कि मैं कहाँ हूँ। मेरा घर यहाँ से तीन मील दूर है, खेतों के पार। मैं चौदह वर्ष का हूँ, पर वे फिर भी यह जानकारी रखना चाहते हैं कि मैं कहाँ हूँ।

श्रीमान् लैम्ब: लोगों को चिन्ता होती है।

डैरी: लोग बात का बतंगड़ बनाते हैं।

श्रीमान् लैम्ब: वापस जाओ और उन्हें बताओ।

डैरी: तीन मील की दूरी है।

श्रीमान् लैम्ब: यह एक सुहावनी शाम है। तुम्हारे पास टाँगें हैं।

डैरी: मैं एक बार घर पहुँच जाऊँगा तो वे मुझे कभी वापस नहीं आने देंगे।

श्रीमान् लैम्ब: एक बार तुम घर पहुँच जाओ तो तुम स्वयं ही वापस नहीं आओगे।

डैरी: आप नहीं जानते…………आप नहीं जानते हैं कि मैं क्या कर सकता हूँ।

श्रीमान् लैम्ब: नहीं। केवल तुम्हीं ये जानते हो।

डैरी: यदि मैं चाहूँ……….

श्रीमान् लैम्ब: आह…………..यदि तुम चाहो। मैं सब कुछ नहीं जानता हूँ, लड़के। मैं तुम्हें नहीं बता सकता हूँ कि तुम्हें क्या करना चाहिए।

डैरी: लोग मुझे बताते हैं।

श्रीमान् लैम्ब: क्या तुम्हारा उनसे सहमत होना जरूरी है?

डैरी: मुझे पता नहीं है कि मैं क्या चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ…..कुछ ऐसा जो कभी किसी और को नहीं मिला है और न ही कभी मिलेगा। मैं नहीं जानता कि वह क्या है।

श्रीमान् लैम्ब: तुम पता लगा सकते हो।

डैरी: कैसे?

श्रीमान् लैम्ब: प्रतीक्षा करके। ध्यानपूर्वक देखकर। ध्यानपूर्वक सुनकर। इधर-उधर बैठकर या जाकर। मुझे मधुमक्खियों को देखना है।

डैरी: यहाँ आने वाले दूसरे लोग………………क्या वे आपसे बात करते हैं? आपसे बातें पूछते हैं?

श्रीमान् लैम्ब: कुछ लोग करते हैं, कुछ नहीं करते। मैं उनसे पूछता हूँ। मुझे सीखना अच्छा लगता है।

डैरी: मैं उन लोगों की बात (उनके यहाँ आने की बात) पर विश्वास नहीं करता हूँ। मुझे नहीं लगता कि कोई कभी यहाँ आता है। आप यहाँ बिल्कुल अकेले और दयनीय दशा में रहते हैं और किसी को पता भी नहीं चलेगा कि आप जीवित हैं या मर गये हैं और किसी को परवाह भी नहीं है।

श्रीमान् लैम्ब: तुम वही सोचते हो जिससे तुम्हें खुशी मिलती है।

डैरी: ठीक है, फिर मुझे यहाँ आने वाले कुछ लोगों के नाम बताओ।

श्रीमान् लैम्ब: नाम क्या हैं? टॉम, डिक और हैरी। (उठते हुए) मैं मधुमक्खियों के पास जा रहा हूँ।

डैरी: मुझे लगता है आप भोंदू हैं…………सनकी…………

श्रीमान् लैम्ब: यह एक अच्छा बहाना है।

डैरी: किस बात के लिए? आप समझदारी की बात नहीं करते हैं।

श्रीमान् लैम्ब: वापस न आने का अच्छा बहाना। और तुम्हारा चेहरा जला हुआ है, और यह अन्य लोगों का बहाना है।

डैरी: आप दूसरों की ही तरह हैं, आपको उन्हीं की तरह बातें करना अच्छा लगता है। यदि आपको मेरे चेहरे के लिए अफसोस नहीं है तो आप इससे भयभीत हैं, और यदि आप भयभीत नहीं हैं तो आप मुझे एक शैतान जितना कुरूप मानते हैं। मैं एक शैतान हूँ। क्या आप नहीं हैं? (चिल्लाता है)

(श्रीमान् लैम्ब उत्तर नहीं देते हैं। वह अपनी मधुमक्खियों के पास जा चुके हैं।)

 डैरी: (शान्ति से ) नहीं। आप नहीं हैं। मुझे यहाँ अच्छा लग रहा है। (एक क्षण की चुप्पी। डैरी उठता है और चिल्लाता है।) मैं जा रहा हूँ। लेकिन मैं वापिस आऊँगा। आप देख लेना। आप प्रतीक्षा करना। मैं दौड़ सकता हूँ। मेरी एक टाँग टिन की नहीं है। मैं वापस आऊँगा।

(डैरी दौड़ जाता है। शान्ति हो जाती है। फिर से बाग की (पत्तियों की सरसराहट और चिड़ियों के गाने की) आवाजें आने लगती हैं।

श्रीमान् लैम्ब: (अपने आप से ही) मेरे प्रिय। तुमने यह देखा है। आह……..तुम जानते हो। हम सब जानते हैं। मैं वापस आऊँगा। हालांकि, वे कभी वापस नहीं आते हैं। वे नहीं आते। कभी वापस नहीं आते।

(बाग की आवाजें मन्द पड़ जाती हैं।)

दृश्य दो:

डैरी का घर।

माँ: तुमको लगता है कि मैं उसके बारे में नहीं जानती, तुम सोचते हों मैंने बातें नहीं सुनीं? 

डेरी: जो कुछ तुमने सुना है उस पर तुम्हें विश्वास नहीं करना चाहिए।

मां: मुझे बताया गया है। चेतावनी दी गयी है। हम यहां तीन महीने नहीं रह रहे, लेकिन मुझे पता है कि क्या जानना है, और तुमको वहां वापस नहीं जाना है।

डेरी: आप किससे डरती हैं? आपको क्या लगता है वह क्या है? टिन की टांग वाला एक बूढ़ा आदमी और वह बिना पर्दे के एक बड़े घर में रहता है और उसका एक बगीचा है। और मैं वहां रहना चाहता हूं, और बैठना चाहता हूं और....बातें सुनना चाहता हूं। सुनो और देखो। मां : क्या सुनूं? डेरी: मधुमक्खियां गा रही हैं। वह बात कर रहा है।

माँ: और उसके पास तुम्हें बताने के लिये क्या है?

डेरी: चीजें जो मायने रखती हैं। ऐसी बातें जो किसी और ने कभी नहीं कही। मैं जिन चीजों के बारे में सोचना चाहता हूं।

माँ : तो फिर तुम यहीं रहो और विचार करो। तुम यही पर अच्छे हो।

डेरी: मुझे इस स्थान से नफरत है।

मां: तुम जो कह रहे हो उसपर तुम्हारा बस नहीं हैं । मैं तुम्हें माफ़ करती हूं। तुम्हारा बुरा महसूस करना अवश्यम्भावी है .... और तुम कह लो। मैं तुम्हें दोष नहीं देती।

डेरी: इसका मेरे चेहरे और मैं कैसा दिखता हूं, इससे कोई लेना-देना नहीं है। मुझे इसकी परवाह नहीं है और यह महत्वपूर्ण नहीं है। यह वही है जो मैं सोचता और महसूस करता हूं और जो मैं देखना और जानना और सुनना चाहता हूं। और मैं वहां वापस जा रहा हूं। केवल क्रैब सेबों के साथ उसकी मदद करने के लिए। केवल चीजों को देखने और सुनने के लिए। मगर जा रहा हूँ।

माँ: तुम यहाँ रुकोगे।

डेरी: अरे नहीं, अरे नहीं। क्योंकि अगर मैं वहाँ वापस नहीं गया, तो मैं इस दुनिया में फिर कभी कहीं नहीं जाऊँगा।

[दरवाजा बंद होंता है। डेरी दौड़ता है, हांफता है।]
और मुझे दुनिया चाहिए....मुझे वो चाहिए...मुझे वो चाहिए....

[उसके हांफने की आवाज फीकी पड़ जाती है।]

दृश्य तीन:

मि. लैम्ब का बगीचा [बाग की आवाज़: एक शाखा के हिलने का शोर; सेब गिरने की आवाज; शाखा का फिर से हिलना।]

श्रीमान लैम्ब: स्थिर... बस... समझ गया। बस इतना ही... [अधिक सेब गिरते हैं] और फिर। बस इतना ही....और.... [एक चरमराहट। एक दुर्घटना। श्रीमान् लैम्ब इसके साथ सीढ़ी गिर जाती है। एक थंप। शाखा वापस हट जाती है। क्रीक। फिर सन्नाटा। डेरी बाग़ का दरवाज़ा खोलता है, अभी भी हाँफ रहा है।]

डेरी: आप देखिये, आप देखिये! मैं वापस आ गया। आपने कहा था कि मैं नहीं आऊंगा और उन्होंने कहा.... लेकिन मैं वापस आ गया, मैं चाहता था...

[वह रुक गया। मौन।]

मिस्टर लैम्ब, मिस्टर....आपने...
[वह घास से चलता है। रुक जाता है। घुटनो पर झुकता है]
मिस्टर लैम्ब, ठीक है...आप गिर गए...मैं यहाँ हूँ, मिस्टर लैम्ब, यह सब ठीक है।

[सन्नाटा]

मैं वापस आ गया। लंगड़ा-लैम। मैंने किया..... वापस आ जाओ।
[डेरी रोने लगता है।] 

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