लेखिका के बारे में

सेल्मा लागरलोफ (1858-1940) एक स्वीडिश लेखिका थीं और 1909 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतने वाली पहली महिला थीं। उनकी अनोखी कहानी बताने की शैली लोक कथाओं, काल्पनिकता और यथार्थ का एक अनूठा मेल था। उनकी रचनाओं में मजबूत नैतिक और आध्यात्मिक आयाम, और मानव दुख के प्रति गहरी सहानुभूति का प्रतिबिंब दिखता है। लागरलोफ एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थीं, जो महिला अधिकारों, शांतिवाद और सामाजिक न्याय के पक्ष में आवाज उठाती थीं। उनकी विरासत दुनिया भर के लेखकों और पाठकों को प्रेरित करती है। The Rattrap स्वीडेन की खानों के बीच सेट है, जो लोहे के अधिक संपदा से भरपूर हैं और जो उस देश के इतिहास और किस्सों में बड़े रूप से उपस्थित हैं। यह कहानी किस्से की तरह थोड़े से एक परी कहानी की तरह लगती है।

The Rattrap in Hindi

एक बार एक आदमी था जो तार की बनी छाटी चूहेदानियाँ बेचने चारों ओर जाता था। वह उन्हें दुकानों या बड़े फार्म हाउसों से माँग कर लाये गये सामान से जब-तब स्वयं बनाता था। किन्तु, फिर भी, व्यापार विशेषरूप से लाभदायक नहीं था, इसलिए जीवनयापन के लिए उसे भीख माँगने और छोटी-मोटी चोरी करने दोनों का ही सहारा लेना पड़ता था। फिर भी, उसके कपड़े फटे-पुराने होते थे, उसके गाल पिचके थे और भूख उसकी आँखों में साफ दिखाई पड़ती थी। कोई सोच भी नहीं सकता कि ऐसे घुमक्कड़ के लिए जीवन कितना दु:खद और नीरस हो सकता है जो अपने ही विचारों में खोया सड़क पर चलता रहता है।

The Rattrap  (In Hindi: A Review of the Translation)

परन्तु एक दिन, इस आदमी को एक विचार आया जो उसे बहुत ही मनोरंजक लगा। स्वाभाविक रूप से वह अपनी चूहेदानियों के बारे में सोच रहा था कि अचानक उसे विचार आया कि उसके चारों ओर की पूरी दुनिया- भूमि, समुद्रों, शहरों और गाँवों के साथ पूरी दुनिया- एक बड़ी चूहेदानी के अलावा कुछ नहीं है ।

लोगों को ललचाने या फंसाने के लिए चारे वाली वस्तुएँ डालने के अलावा इस दुनिया का अस्तित्व और किसी उद्देश्य के लिए नहीं है। यह दुनिया सम्पत्ति, खुशियाँ, आश्रय, भोजन, गर्मी, वस्त्र ठीक उसी तरह देती है जैसे चूहेदानी पनीर और सुअर का मांस पेश करती है, और जैसे ही कोई भोजन के लालच में पड़कर इसे छूता है तो यह उसे बन्द कर देती है और फिर सब कुछ समाप्त हो जाता है।

संसार उसके लिए सचमुच कभी भी बहुत दयालु नहीं रहा था, इसलिए उसके बारे में बुरा सोचने से उसे अजीब-सा सुख मिलता था। अपनी बहुत-सी नीरस यात्राओं के दौरान ऐसे परिचित लोगों के बारे में सोचना उसका इच्छित मनोरंजन बन गया था जिन्होंने स्वयं को दुनिया के खतरनाक जाल में फंसने दिया था और दूसरे उनके बारे में जो अभी भी ललचाने वाले चारे का चक्कर लगा रहे थे।

एक अँधेरी शाम जब वह सड़क पर थकावट के कारण धीरे-धीरे जा रहा था तो उसकी नजर सड़क के एक किनारे स्थित एक पुराने छोटे घर पर पड़ी और उसने रात-भर का आश्रय पाने के लिए दरवाजा खटखटाया। उसे मना भी नहीं किया गया। आमतौर पर मिलने वाले दुखी चेहरों की बजाय, घर का मालिक, जो बिना पत्नी और बच्चे का बूढ़ा आदमी था, अपने अकेलेपन में बातचीत करने हेतु किसी को पाकर खुश हुआ।

शीघ्र उसने दलिया की हाँडी आग पर चढ़ा दी और उसे रात्रिकालीन भोजन कराया, फिर उसने अपने तम्बाकू के बन्डल में से इतनी बड़ी फाँक काटकर निकाली जो अजनबी और उसकी स्वयं की दोनों की चिलम के लिए पर्याप्त थी। अन्ततः उसने एक पुरानी ताश की गड्डी निकाली और सोने का समय होने तक अपने मेहमान के साथ ताश का ‘मजोलिस’ नामक खेल खेला।

बूढ़ा आदमी दलिया और तम्बाकू के प्रति जितना उदार था उतना ही उदार अपनी गुप्त बातें बताने के प्रति था। अतिथि को तुरन्त ही बताया गया कि अपनी समृद्धि के दिनों में उसका मेजबान अर्थात् वह बूढ़ा आदमी रैम्जो आयरनवर्क्स फार्म की जमीन में एक हिस्सेदार था और उसने उस फार्म पर काम किया था। अब जबकि वह दिन-भर की मजदूरी नहीं कर पाता था, उसकी गाय ही उसका सहारा थी। हाँ, वह रौबीली गाय असाधारण थी। वह प्रतिदिन डेरी के लिए दूध दे सकती थी और पिछले माह उसे पूरे तीस क्रोनर भुगतान में प्राप्त हुए थे।

ऐसा अवश्य लगा होगा कि वह अजनबी उसकी बात पर विश्वास नहीं कर रहा है कि उसने वास्तव में तीस क्रोनर प्राप्त किए होंगे इसलिये बूढ़ा खड़ा हुआ और खिड़की तक गया, चमड़े का एक पाउच उतारा जो उसी खिड़की के ढाँचे में लगी एक कील पर लटका हुआ था और दस क्रोनर के तीन मुड़े हुए नोट निकाले। ये नोट उसने अतिथि की आँखों के सामने जान-बूझकर सिर हिलाते हुए रखे अर्थात् इस तरह पकड़े कि अतिथि को दिखाई दे जायें, और फिर उन्हें वापिस पाउच में रख दिया।

अगले दिन दोनों आदमी अच्छी मन:स्थिति में जगे। क्रॉफ्टर को अपनी गाय दुहने की जल्दी थी, और दूसरे आदमी ने शायद सोचा कि जब घर का मुखिया जाग चुका था तो उसे बिस्तर पर नहीं रहना चाहिए। वे एक ही समय साथ-साथ घर से निकले। क्रॉफ्टर ने दरवाजे पर ताला लगाया और चाबी अपनी जेब में रख ली। चूहेदानी बेचने वाले आदमी ने अलविदा कहा और धन्यवाद दिया, और इसके बाद दोनों अपने-अपने काम पर चले गये।

किन्तु आधा घण्टे बाद, चूहेदानी बेचने वाला एक बार फिर दरवाजे के सामने खड़ा था। लेकिन उसने अन्दर जाने की कोशिश नहीं की। वह सिर्फ खिड़की तक गया, एक काँच तोड़ा, अपना हाथ अन्दर डाला और उस पाउच को पकड़ लिया जिसमें तीस क्रोनर रखे थे। उसने पैसा लिया और अपनी जेब में डाल लिया। फिर उसने चमड़े के पाउच को बड़ी सावधानी से वापस उसके स्थान पर लटका दिया और चला गया।

जब वह जेब में पैसा लेकर चला तो वह अपनी चालाकी पर बड़ा प्रसन्न हुआ । वास्तव में, उसने महसूस किया कि शुरू में मुख्य सड़क पर चलते रहने की उसकी हिम्मत नहीं थी वरन् रास्ता बदलकर उसे जंगल में जाना चाहिए। शुरू के कुछ घंटों में इससे उसे कोई परेशानी नहीं हुई।

दिन में कुछ समय पश्चात् अधिक ही परेशानी हो गई क्योंकि यह एक बड़ा और भ्रम में डालने वाला जंगल था जिसमें वह प्रवेश कर गया था अर्थात् फंस गया था। आश्वस्त होने के लिए उसने एक निश्चित दिशा में चलने की कोशिश की किन्तु रास्ते अजीबो-गरीब तरीके से आगे-पीछे मुड़ रहे थे! वह चलता रहा किन्तु जंगल के छोर पर न पहुँच सका और अन्ततः उसने महसूस किया कि वह जंगल के उसी भाग में इधर-उधर घूम रहा था।

अचानक उसे संसार और चूहेदानी के बारे में अपने विचार याद आये। अब उसकी खुद की बारी आ गई थी। अर्थात् अब वह स्वयं ही संसार रूपी चूहेदानी में फंस गया था। उसने चारे को उसको मूर्ख बनाने की अनुमति दे दी थी और फंस गया था।

धन के लोभ में मूर्खता से फंसकर दूसरे का धन चुरा लिया था और इस प्रकार संसार के मकड़जाल में फंस गया था। पूरा जंगल अपने तनों, शाखाओं, झुरमुटों और गिरे हुए लक्कड़ों के साथ उसे एक ऐसी दुर्गम जेल की भाँति घेर रहा था जिसमें से वह कभी भी नहीं निकल सकता था।

दिसम्बर समाप्त होने को था। अँधेरा पहले ही जंगल पर छाने लगा था। इसने खतरा बढ़ा दिया और उसकी उदासी और निराशा को भी बढ़ा दिया। अन्ततः उसे कोई उपाय न सूझा, और वह बहुत अधिक थका हुआ यह सोचते हुए जमीन पर गिर गया कि उसका अन्तिम समय आ गया था।

लेकिन ज्यों ही उसने अपना सिर जमीन पर टिकाया, उसने एक ध्वनि सुनी एक जोरदार लगातार थप-थप की आवाज। इसमें कोई सन्देह नहीं था कि यह क्या थी । वह उठ खड़ा हुआ। यह किसी लोहे की फैक्ट्री से हथौड़े के प्रहार की ध्वनि है,” उसने सोचा । पास में निश्चय ही लोग होने चाहिए ।उसने अपनी पूरी ताकत जुटाई, खड़ा हुआ और लड़खड़ाते हुए ध्वनि की दिशा में चला।

रैम्जो आयरनवर्क्स जो अब बन्द हो गई है, थोड़े। पहले प्रगालक, बेलनी मिल और ढलाईघर से युक्त एक विशाल फैक्ट्री थी। गर्मी के दिनों में पूरी तरह से भरी हुई नौकाओं की कतारें उस नहर में चलती थीं जो इस इलाके के मध्य भाग में स्थित बड़ी झील की तरफ जाती थी और सर्दी के दिनों में मिल के पास की सड़क कोयले की टोकरियों से छनकर गिरी कोयले की धूल से काली हो जाती थी।

क्रिसमस से ठीक पहले लम्बी अंधेरी संध्याओं में से एक लम्बी अँधेरी संध्या को मुख्य लोहार और उसका सहयोगी भट्टी के पास अंधकार युक्त ढलाईघर में बैठे आग में डाले हुए कच्चे लोहे को निहाई पर. डालने के लिए तैयार होने की प्रतीक्षा कर रहे थे। बीच-बीच में उनमें से कोई एक लम्बी लोहे की छड़ से चमकते पिण्ड को कुरेदने के लिए खड़ा होता और कुछ ही क्षणों में टपकते हुए पसीने के साथ लौटता, यद्यपि जैसी कि प्रथा थी, वह लम्बी शर्ट और लकड़ी के जूतों के अलावा कुछ भी पहने हुए नहीं होता था।

ढलाईघर में हर समय बहुत-सी ध्वनियाँ सुनी जा सकती थीं। बड़ी-बड़ी धौकनियाँ कराहती रहती अर्थात् साँय-साँय करती रहती थीं और जलता हुआ कोयला कड़कड़ाता था। भारी खट-पट की आवाज के साथ आग जलाने वाला लडका भट्टी के मुँह में बेलचे से काठकोयला झोंकता था।

बाहर झरना गरज रहा था और एक तेज उत्तरी हवा वर्षा को ईंट लगी छत पर कोड़े की तरह से मार रही थी। शायद इसी सब शोर के कारण लोहार ने जब तक कि वह आदमी भट्टी के पास आकर खड़ा नहीं हो गया तब तक यह नहीं देखा कि एक आदमी दरवाजा खोल चुका था और ढलाईघर में प्रवेश कर चुका था।

निश्चय ही, रात के लिए किसी बेहतर आश्रयरहित गरीब घुमक्कड़ों के लिए कालिमा लगे शीशों से निकलने वाले प्रकाश की चमक के पास ढलाईघर की ओर आकर्षित होना और आग के सामने तपने के लिए अन्दर आना बिल्कुल ही असामान्य नहीं था।

लोहे का काम करने वालों ने घुसपैठिये पर मात्र एक सरसरी और निरपेक्ष भाव से अर्थात् उदासीनता से नजर डाली। वह वैसा ही दिखाई पड़ रहा था जैसा उसकी तरह के लोग दिखाई पड़ते हैं, लम्बी दाढ़ी, गन्दा, फटेहाल और उसके सीने पर चूहेदानियों का गुच्छा लटकता हुआ। उसने ठहरने की अनुमति माँगी और मालिक लोहार ने उसके सम्मान में एक भी शब्द बोले बिना घमण्ड भरी स्वीकृति में सिर हिला दिया।

घुमक्कड़ ने भी कुछ नहीं कहा। वह वहाँ बात करने के लिए नहीं वरन् तपने और सोने के लिए आया था। उन दिनों रैम्जो लौह मिल का मालिक एक बहुत प्रसिद्ध लोहार था जिसकी सबसे बड़ी महत्वाकांक्षा जहाजों द्वारा बाजार में अच्छा लोहा पहुँचाना था। वह दिन-रात यही निगरानी रखता था कि काम यथाशक्ति अच्छा हो और इस समय वह ढलाईघर में निरीक्षण के लिए अपने एक रात्रिकालीन दौरे पर आया था।

स्वाभाविक रूप से जो पहली चीज उसने देखी, वह लम्बा घुमक्कड़ था जो भट्टी के इतना नजदीक सरक आया था कि उसके गीले फटे कपड़ों से भाप उठने लगी थी। मालिक लोहार ने अन्य लोहारों के उदाहरण का अनुगमन नहीं किया जिन्होंने अजनबी की ओर देखने तक की कृपा नहीं की थी। वह उसके अधिक नजदीक गया, उसे ध्यान से देखा और फिर उसके चेहरे को और अच्छी तरह देखने के लिए उसके ढीले टोप को हटाया ।

अरे तुम हो निल्स ओलोफ !” उसने कहा । तुम कैसे लग रहे हो!चूहेदानी वाले आदमी ने रैम्जो के मालिक को पहले कभी नहीं देखा था और यह भी नहीं जानता था कि उसका नाम क्या था। किन्तु उसके दिमाग में आया कि यदि यह भला आदमी सोचता है कि वह उसका कोई पुराना परिचित है तो शायद वह उसे कुछ मुद्राएँ दे दे। इसलिए वह उस मालिक लौहार के भ्रम को तुरन्त ही दूर नहीं करना चाहता था। हाँ, भगवान जानता है मेरे साथ बहुत बुरा हुआ है,” उसने कहा।

The Rattrap
The Rattrap Summary in English and Hindi
The Rattrap Solution

तुम्हें रेजीमेन्ट से त्यागपत्र नहीं देना चाहिए था,” मालिक ने कहा । वह गलती थी। काश उस समय भी मैं सेवा में होता तो यह न होता। खैर, अब तुम निश्चित रूप से मेरे साथ घर चलोगे।कोठी पर जाना और मालिक के द्वारा सेना के पुराने साथी की भाँति स्वागत किया जाना- हालाँकि, इस चीज से घुमक्कड़ खुश नहीं हुआ।

नहीं, मैं इसके बारे में सोच भी नहीं सकता था।उसने बिल्कुल चौकन्ना दिखते हुए कहा। उसने तीस क्रोनर के बारे में सोचा। कोठी तक जाना स्वयं को स्वेच्छा से शेर की माँद में फेंकने या जाने जैसा होगा। वह तो बस यहाँ ढलाईघर में सोने का और यथासम्भव चुपके से खिसकने का एक मौका चाहता था। मालिक लोहार ने समझा कि वह अपने खराब कपड़ों के कारण परेशान था।

कृपया ऐसा न सोचें कि मेरा इतना सुन्दर घर है कि आप वहाँ आ ही नहीं सकतेउसने कहा……..”एलिजाबेथ मर चुकी है, जैसा कि तुम पहले ही सुन चुके होगे। मेरे लड़के विदेश में हैं और घर पर मेरे और मेरी सबसे बड़ी बेटी के अलावा कोई नहीं है। हम अभी-अभी कह रहे थे कि बड़ी बुरी बात थी कि क्रिसमस पर हमारे साथ कोई नहीं था। अब मेरे साथ आओ और क्रिसमस के भोजन को थोड़ा और जल्दी गायब करने में हमारी मदद करो।

किन्तु अजनबी बार-बार मना करता रहा और मालिक लोहार को लगा कि उसे हार मान लेनी चाहिए अर्थात् उससे घर चलने की जिद नहीं करनी चाहिए। ऐसा लगता है मानो कैप्टन वॉन स्टाहले आपके साथ आज रात ठहरना अधिक पसन्द करते, “स्टजर्नस्ट्रॉम” उसने मालिक लोहार से कहा और पीछे की ओर घूम गया।

किन्तु जाते-जाते वह अपने आप पर हँसा और लोहार जो उसे जानता था अच्छी तरह समझ गया कि वह अपनी अन्तिम बात नहीं कहा था। आधे घण्टे से कम समय में ही ढलाईघर के बाहर उन्हें एक वाहन के पहियों की आवाज सुनाई पड़ी और एक नया अतिथि अन्दर आया किन्तु इस बार यह मालिक लोहार नहीं था। उसने अपनी बेटी को भेजा थी, स्पष्टतः यह आशा करते हुए कि मनाने या राजी करने की शक्ति उसमें उससे ज्यादा होगी।

उसने अन्दर प्रवेश किया, पीछे-पीछे अपनी बाँह पर बड़ा फर का कोट डाले उनका निजी नौकर था। वह बिल्कुल आकर्षक नहीं थी किन्तु शालीन और बहुत संकोचशील लग रही थी। ढलाईघर में सब कुछ वैसा ही था जैसा कि पहले शाम को था। मुख्य लोहार और उसका सहायक अभी भी बेन्च पर बैठे थे और लोहा और काठकोयला अभी भी भट्टी में चमक रहे थे। अजनबी जमीन पर पसर गया था और कच्चे लोहे का एक टुकड़ा सिर के नीचे लगा कर लेटा हुआ था और उसने अपना टोप आँखों पर सरका लिया था। जैसे ही युवा लड़की ने उसे देखा वह उसके पास गई और उसने उसका टोप उठा दिया। साफ तौर पर उस आदमी को एक आँख खोलकर (सतर्क होकर) सोने की आदत थी। वह अचानक उछल पड़ा और बहुत भयभीत लगा।

मेरा नाम एडला विलमैनसन हैयुवती ने कहा। मेरे पिता जी घर आए और उन्होंने बताया कि आज रात आप यहाँ ढलाईघर में सोना चाहते हैं और फिर मैंने यहाँ आने और आपको हम लोगों के पास अपने घर ले जाने की अनुमति माँगी। कप्तान, मुझे बेहद दु:ख है, कि आप इतने बुरे समय से गुजर रहे हैं।

उसने अपनी गंभीर आँखों से सहानुभूतिपूर्वक उसकी ओर देखा और फिर उसने देखा कि वह आदमी डरा हुआ था। या तो इसने कोई वस्तु चुराई है या फिर यह जेल से भाग कर आया है”, उसने सोचा और जल्दी से यह बात जोड़ी, “कप्तान, आप आश्वस्त हो सकते हो कि आपको हम उतनी ही स्वतन्त्रतापूर्वक जाने देंगे जितनी स्वतंत्रतापूर्वक आप आये हो। कृपया सिर्फ क्रिसमस की पूर्व संध्या पर हमारे साथ ठहर जाएँ।उसने यह इतने मिलनसारिता भरे अंदाज में कहा कि चूहेदानी बेचने वाले को अवश्य ही उस पर भरोसा हो गया होगा।

मिस, यह बात मेरे दिमाग में कभी न आती कि आप मुझे लेकर परेशान होओगी,” उसने कहा। मैं अभी चलता हूँ।उसने फर का वह कोट स्वीकार कर लिया जो नौकर ने बहुत झुककर नमस्कार करते हुए उसे दिया, उसने इसे अपने फटे कपड़ों के ऊपर डाल लिया और चकित लोहारों की तरफ एक भी निगाह डाले बिना युवती के पीछे-पीछे घोड़ा गाड़ी तक गया ।

किन्तु कोठी की तरफ गाड़ी में बैठकर जाते समय उसे अनिष्ट की आशंका हो रही थी। आखिर मैंने उस आदमी का पैसा क्यों चुरा लिया था?” उसने सोचा।अब मैं पिंजड़े के अन्दर बैठ रहा हूँ और कभी भी इससे बाहर नहीं निकलूंगा।अगले दिन क्रिसमस की पूर्व संध्या थी और जब मालिक भोजन कक्ष में नाश्ते के लिए आया तो शायद उसने अपने सेना के उस साथी के बारे में सन्तोषपूर्वक सोचा जिससे उसकी मुलाकात अप्रत्याशित रूप से हो गई थी।

सर्वप्रथम हमें यह ध्यान देना होगा कि इसकी हड्डियों पर थोड़ा माँस चढ़ जाये। उसने अपनी बेटी से कहा जो मेज पर खाना परोसने में व्यस्त थी। और फिर हमको यह देखना चाहिए कि इसे देश में चारों ओर घूमकर चूहेदानियाँ बेचने की अपेक्षा कोई दूसरा काम मिल जाये।” “बड़ी विचित्र बात है कि इनके हालत इतने ज्यादा बिगड़ गये हैं,” पुत्री ने कहा। पिछली रात मुझे नहीं लगा कि इसमें कोई भी ऐसी चीज थी जो यह दिखा सकती कि वह कभी कोई शिक्षित व्यक्ति रहा था।

तुम्हें धैर्य रखना चाहिए, मेरी बच्ची,” पिता ने कहा। जैसे ही यह नहा लेगा और नये कपड़े पहन लेगा तो तुम अलग ही चीज देखोगी। पिछली रात स्वाभाविक रूप से वह परेशान था। उसके घुमक्कड़ वाले कपड़ों के उतरने के साथ ही उसके घुमक्कड़ वाले हाव-भाव समाप्त हो जायेंगे ज्यों ही उसने ऐसा कहा, दरवाजा खुला और अजनबी अन्दर आया।

हाँ, अब वह सचमुच साफ-सुथरा और अच्छे कपड़े पहने हुए था। नौकर ने उसे स्नान कराया था, उसके बाल काटे थे और उसकी दाढ़ी बनाई थी। इसके अलावा उसने मिल मालिक की एक सुन्दर दिखने वाली पोशाक पहन रखी थी। उसने सफेद शर्ट, कलफ लगी कड़क कॉलर और साबुत जूते पहन रखे थे।

यद्यपि उसका अतिथि अब खूब सजा-सँवरा था, लेकिन मालिक लोहार सन्तुष्ट नहीं लगा। उसने माथे पर सिलवटें डालते हुए उसकी ओर देखा और यह समझना आसान था कि उसने अजनबी को भट्टी के धुंधले प्रकाश में देखा तो उसने गलती कर दी होगी किन्तु अब जबकि वह वहाँ दिन के खुले उजाले में खड़ा था, उसे पुराना परिचित समझने की गलती करना असम्भव था।

इसका क्या मतलब है?” उसने गरजकर कहा। अजनबी ने धोखा देने की कोई कोशिश नहीं की। वह तुरन्त भाँप गया कि शान-शौकत का अन्त हो चुका था। श्रीमान्, यह मेरी गलती नहीं है,” उसने कहा। मैंने अपने आप को एक गरीब व्यापारी के अलावा कुछ भी दिखाने का नाटक नहीं किया और मैंने ढलाईघर में ठहरने की अनुमति पाने के लिए ही याचना और प्रार्थना की। किन्तु कोई नुकसान नहीं हुआ है। बुरे से बुरा यह होगा कि मैं अपने फटे पुराने कपड़े पुनः पहन सकता हूँ और जा सकता हूँ।
अच्छा,” थोड़ा हिचकिचाते हुए मालिक लोहार ने कहा, “यह पूर्णतः ईमानदारीपूर्ण बात भी नहीं थी। तुम्हें यह बात स्वीकार करनी चाहिए और मुझे आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए यदि न्यायिक अधिकारी इस मामले में कुछ कहें।घुमक्कड़ एक कदम आगे बढ़ा और मेज पर एक घुसा मारा।

बात क्या है, श्रीमान् मालिक लोहार, अब मैं आपको बताऊँगा,” उसने कहा।यह सम्पूर्ण संसार एक बड़ी चूहेदानी के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। सारी अच्छी चीजें जो आपको पेश की जाती हैं किसी गरीब को परेशानी में डालने के लिए सजाई गई पनीर की बाहरी परत और सुअर के माँस के टुकड़ों के अलावा कुछ नहीं हैं।

और यदि अब इस बात के लिए न्यायाधिकारी आये और मुझे जेल में डाल दे तो मालिक लोहार आप ध्यान रखना कि एक दिन आ सकता है जब आप सुअर के माँस का बड़ा टुकड़ा प्राप्त करना चाह सकते हों और तब आप पिंजड़े में फँस जाओगे। मालिक लोहार हँसने लगा।

आपके द्वारा कहा हुआ कथन बुरा नहीं है भले आदमी । शायद क्रिसमस की पूर्व संध्या पर हमें न्यायाधिकारी (की बात) को तो छोड़ ही देना चाहिए। परन्तु अब यहाँ से जितना जल्दी हो सके बाहर निकलो।

किन्तु ज्यों ही वह आदमी दरवाजा खोल रहा था, बेटी ने कहा, “मैं समझती हूँ इन्हें आज हमारे साथ रुकना चाहिए। मैं नहीं चाहती कि ये जायें।और इसके साथ ही वह गई और दरवाजा बन्द कर दिया। यहाँ, अब तुम क्या कर रही हो?” पिता ने कहा। बेटी वहाँ बिल्कुल परेशान खड़ी थी और शायद ही जानती थी (अर्थात् यह नहीं जानती थी) कि क्या उत्तर दे। उस सुबह उसे बहुत खुशी हुई थी जब उसने सोचा था कि उस बेचारे भूखे अभागे के लिए चीजों को वह कितना घर जैसा और क्रिसमस के अनुरूप बनाने के लिए तैयारी कर रही थी।

वह इस विचार को अचानक त्याग न सकी और यही कारण था कि उसने घुमक्कड़ के लिए दया की माँग की। मैं यहाँ इस अजनबी के बारे में सोच रही हूँ।युवती ने कहा। वह पूरे वर्ष घूमता रहता है और पूरे देश में सम्भवतः एक भी स्थान ऐसा नहीं है जहाँ उसका स्वागत होता हो और जहाँ वह घर जैसा महसूस करता हो। वह जहाँ भी जाता है वहाँ से भगा दिया जाता है। उसे हमेशा गिरफ्तार होने और प्रश्न पूछे जाने का डर लगा रहता है। मैं चाहूँगी कि वह यहाँ हमारे साथ शान्ति का एक दिन गुजारे पूरे वर्ष में केवल एक दिन।

मालिक लोहार अपनी दाढ़ी के अन्दर कुछ बुदबुदाया। वह उसका विरोध न कर सका। सचमुच यह एक गलती थी,” उसने अपनी बात जारी रखी। किन्तु जो भी हो, मैं नहीं समझती कि हम एक ऐसे मनुष्य को भगा दें जिसे हमने यहाँ बुलाया है और जिसे हमने क्रिसमस की खुशी देने का वादा किया है।” “तुम तो किसी पादरी से भी बुरा उपदेश कर रही हो,” मालिक लोहार ने कहा।

मैं तो सिर्फ यह आशा करता हूँ कि आपको इसके लिए पश्चाताप न करना पड़े।युवती ने अजनबी का हाथ पकड़ लिया और उसे खाने की मेज तक ले गई।अब बैठ जाओ और भोजन करो,” उसने कहा क्योंकि उसने देख लिया था कि उसके पिता ने हार मान ली थी। चूहेदानियों वाले आदमी ने एक शब्द भी नहीं कहा; वह केवल बैठ गया और भोजन किया। बीच-बीच में वह उस युवती की ओर देख लेता था जिसने उस पर दया करने की वकालत की थी। उसने ऐसा क्यों किया था? कौन-सा मूर्खतापूर्ण विचार हो सकता है?

इसके बाद रैम्स्जो में क्रिसमस की पूर्व संध्या ठीक वैसे ही गुजरी जैसी कि हमेशा गुजरती थी। अजनबी ने कोई परेशानी पैदा नहीं की क्योंकि उसने सोने के अलावा कुछ नहीं किया। दोपहर से पहले वह एक अतिथि कक्ष में सोफे पर लेटा रहा और लगातार सोता रहा।

दोपहर को उन्होंने उसे जगाया ताकि वह क्रिसमस के अच्छे भोजन का अपना हिस्सा ले सके, लेकिन इसके बाद वह फिर सो गया। ऐसा लगता था मानो वर्षों से वह इतना शान्तिपूर्वक और सुरक्षित नहीं सो पाया था जितना यहाँ रैम्स्जो में सोया था। शाम को जब क्रिसमस वृक्ष को प्रकाशित किया गया, उन्होंने उसे फिर जगाया और वह थोड़ी देर ड्राइंगरूम में इस प्रकार आँखें टिमटिमाते हुए खड़ा रहा जैसे मोमबत्ती का प्रकाश उसे चोट पहुँचाता था, किन्तु इसके बाद वह पुनः गायब हो गया। दो घण्टे बाद उसे एक बार पुनः जगाया गया। उसे फिर भोजन कक्ष में नीचे जाना पड़ा और क्रिसमस की मछलियाँ और दलिया खाना पड़ा।

जैसे ही वे भोजन की मेज से खड़े हुए वह सभी उपस्थित लोगों के पास गया और उसने उन सभी से धन्यवाद और शुभ रात्रि कहा लेकिन जब वह युवती के पास आया तो उस युवती ने उसे समझाया कि उसके पिताजी का इरादा है कि उसने जो वस्त्र पहन रखे हैं वे क्रिसमस का उपहार होंगे उसे उन्हें वापिस नहीं करना पड़ेगा; और यदि वह क्रिसमस की अगली पूर्व संध्या ऐसी जगह बिताना चाहे जहाँ वह शान्तिपूर्वक रह सके और आश्वस्त हो सके कि उसका कोई अनिष्ट नहीं होगा तो फिर से उसका स्वागत किया जायेगा चूहेदानियों वाले आदमी ने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया। वह केवल असीम आश्चर्य के साथ युवती की तरफ टकटकी लगाकर देखता रहा अगली सुबह मालिक लोहार और उसकी बेटी अच्छे मिजाज में जल्दी क्रिसमस की प्रार्थना के लिए जाने के लिए जागे। उनका अतिथि अभी भी सोया हुआ था और उन्होंने उसके सोने में बाधा नहीं डाली।

जब लगभग दस बजे वे लोग चर्च से वापिस चले तो युवती बैठ गई और सामान्य से कहीं ज्यादा निराशा में सिर लटका लिया। चर्च में उसे पता चला कि लौह मिल के एक पुराने जमींदार को एक ऐसे आदमी ने लूट लिया था जो चूहेदानियाँ बेचता फिरता था। हाँ, वह बढ़िया आदमी था जिसे तुमने घर में आने की अनुमति दी,” उसके पिता ने कहा । मैं तो सिर्फ यह। सोच रहा हूँ कि अब तक अलमारी में चाँदी की कितनी चम्मच बची होंगी ।

गाड़ी घर के सामने की सीढ़ियों के पास पहुँची ही थी कि मालिक लोहार ने नौकर से पूछा कि क्या अजनबी अभी भी वहीं था। उसने आगे कहा कि उसने चर्च में सुना था कि वह आदमी चोर था। नौकर ने उत्तर दिया कि आदमी जा चुका है और यह कि वह अपने साथ बिल्कुल कुछ नहीं ले गया है। इसके विपरीत, क्रिसमस उपहार के रूप में एक पैकिट छोड़ गया है जिसे कृपा करके मिस विलमैनसन को स्वीकार करना था।

युवती ने पैकिट खोला जो इतनी बुरी तरह बँधा था कि उसे अन्दर का सामान तुरन्त दिखाई पड़ गया। वह खुशी से हल्का सा चीख पड़ी। उसे एक छोटी चूहेदानी मिली और उसके अन्दर 10 क्रौनर के तीन मुड़े-तुड़े नोट पड़े थे। किन्तु सिर्फ इतना ही नहीं था। चूहेदानी में बड़े नुकीले अक्षरों में लिखा एक पत्र भी पड़ा था।

आदरणीय और श्रेष्ठ मिस, “क्योंकि पूरे दिन आप मेरे प्रति अत्यधिक अच्छी रही हैं, मानो मैं कोई कप्तान हूँ, मैं भी बदले में आपके प्रति अच्छा होना चाहता हूँ मानो मैं सचमुच ही कप्तान हूँ- क्योंकि मैं क्रिसमस के अवसर पर एक चोर द्वारा आपको परेशान नहीं होने देना चाहता हूँ; लेकिन आप पैसा सड़क किनारे वाले बूढ़े आदमी को वापिस दे सकती हो, जिसने गरीब घुमक्कड़ों को लालच में डालने के लिए खिड़की की फ्रेम पर थैली लटका रखी है।

यह चूहेदानी एक ऐसे चूहे की ओर से क्रिसमस का उपहार है जो इस दुनिया की चूहेदानी में फँस जाता अगर उसे कैप्टन न बनाया गया होता, क्योंकि इस तरह उसे स्वयं को साफ करने की शक्ति मिल गई । 

मित्रता और अत्यन्त आदर के साथ लिखित,”

“कप्तान वॉन स्टाहले।”

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