लेखक के बारे मे

Flamingo Prose Ch.8 - Going Places (In Hindi: A Review of the Translation)
एआर बार्टन एक आधुनिक लेखक हैं, ज्यूरिख में रहते हैं और अंग्रेजी में लिखते हैं। उसकी कहानी, "Going Places" उसकी काल्पनिक दुनिया में एक किशोर लड़की की कहानी है। उनका जन्म यूटा में 24, 1908 में हुआ था। वह 94 साल तक जीवित रहे और 31 जनवरी 2003 को उनकी मृत्यु हो गई।

    Going Places

     

    विद्यालय से घर आते हुए सोफी ने कहा, “पढ़ाई के बाद मेरा एक बुटीक होगा।

     

    उसकी बाँहों में बाँहें डाले गली में चलते हुए जैन्सी को इस बात पर शंका हुई।

     

    सोफ़, ऐसा कुछ करने में धन खर्च होता है।

     

    गली में दूर घूरते हुए सोफी ने कहा, “मैं जुटा लूँगी।

     

    इतना धन जुटाने में तुम्हें बहुत समय लगेगा।

     

    ठीक है, तो हाँ सचमुच, शुरू में मैं मैनेजर बन जाऊँगी, जब तक मेरे पास पर्याप्त (धन) न होगा। पर, जो कुछ भी हो, मैं जानती हूँ यह सब कैसा दिखेगा।

     

    सोफ, लोग तुम्हें तुरंत ही मैनेजर नहीं बना देंगे।सोफी ने कहा,

     

    मैं मैरी क्वांट जैसी बनूँगी। मैं अपनी योग्यता के अनुरूप कार्य करूँगी। वे यह शुरू से देखेंगे। मेरी बहुत ही आश्चर्यजनक दुकान होगी जैसी इस शहर में कभी नहीं रही होगी।

     

    यह जानते हुए कि उन दोनों को तो बिस्कुट की फैक्ट्री में काम करना था, जैन्सी दु:खी हो गई। वह चाहती थी कि सोफी ऐसी बातें न कहे।

     

    जब वे सोफी की गली पर पहुँची तो जैन्सी ने कहा, “सोफ, अब तो कुछ ही महीनों की बात है, तुम्हें, सचमुच समझदार होना चाहिए। दुकान का काम करने के बदले में ज्यादा पैसा नहीं मिलता है, तुम यह जानती हो, तुम्हारे पिताजी तुम्हें यह कभी नहीं करने देंगे।

     

    या फिर एक अभिनेत्री। इस काम में वास्तव में बहुत पैसा है। हाँ और हो सकता है साथ-साथ में बुटीक भी रख लूँ। अभिनेत्रियाँ पूरे समय काम नहीं करती हैं, है ना? खैर या तो अभिनेत्री या फैशन डिजाइनर, तुम जानती हो-कोई ऐसा ही सुन्दर काम।

     

    जैन्सी को वर्षा में खड़ी छोड़कर वह गली के खुले दरवाजे में होकर अन्दर चली गई।

     

    अगर कभी मेरे पास पैसा हो गया तो मैं एक बुटीक खरीदूंगी।

     

    हाँ, यदि तुम्हारे पास कभी पैसा हो तो…….यदि तुम्हारे पास कभी पैसा हो तो तुम हमारे रहने के लिए आनन्ददायक सुन्दर घर खरीदोगी, बहुत-बहुत धन्यवाद।

     

    सोफी के पिता जितना हो सकता था उतनी जोर से शेपड पाइ चम्मच से अपने मुँह में डाल रहे थे, उनका मांसल चेहरा अभी भी गन्दा और पसीना भरा था दिन के काम से धुलधुसरित।

     

    वह समझती है पैसा पेड़ों पर उगता है, है न पापा?” छोटे डेरेक ने अपने पिता की कुर्सी के पीछे लटकते हुए कहा।

     

    उनकी माँ ने आह भरी।

     

    सोफी ने सिंक के ऊपर अपनी माँ की झुकी हुई कमर देखी और उसके एप्रन की डोरी के ऊपर बंधे सुन्दर फूल की असंगतता के बारे में सोचा। सुन्दर दिखने वाला फूल और झुकी कमर। शाम का अन्धकार पहले ही खिड़कियों पर दिखने लगा था और छोटे कमरे में स्टोव का धुआँ भरा था तथा मेज पर बनियान पहने खर्राटे मारता आदमी और कोने में पड़े गन्दे कपड़ों के ढेर से कमरा भरा हुआ था। सोफी को गले में कठोरता महसूस हुई। वह अपने भाई ज्योफ को ढूँढने निकल पड़ी।

     

    वह कारपेट पर बिछे अखबार के ऊपर रखे मोटरसाइकिल के हिस्से से ठोका-पीटी करते हुए बगल वाले कमरे में फर्श पर घुटनों के बल बैठा था। उसे स्कूल छोड़े तीन वर्ष हो चुके थे, नौसिखिया मेकेनिक जो शहर के दूसरे छोर पर प्रतिदिन काम के लिए जाता था। अब वह लगभग बड़ा हो गया था और वह उसके जीवन के उन क्षेत्रों पर संदेह करती थी जिनके विषय में वह कुछ नहीं जानती थी, जिनके बारे में वह कभी भी बात नहीं करता था।

    वह अपनी मर्जी से कभी भी बिल्कुल कुछ नहीं बोलता था। उसके अन्दर से शब्द उखाड़कर वैसे ही निकालने पड़ते थे जैसे जमीन में से पत्थर। और वह उसकी चुप्पी से ईर्ष्या करती थी। जब वह नहीं बोल रहा होता था तो लगता था जैसे वह कहीं दूर होता था, संसार के उन स्थानों पर जहाँ वह कभी नहीं गई थी। चाहे वे शहर के बाहरी क्षेत्र थे या चारों ओर के देहात के स्थान -कौन जानता था? उनके प्रति उसे सिर्फ इसलिए आकर्षण था क्योंकि वे उसके लिए अनजान थे और उसकी पहुँच से परे थे।

     

    शायद, वहाँ लोग भी थे, उत्तेजनात्मक, रुचिकर लोग जिनके बारे में वह कभी बात नहीं करता था- यह सम्भव था, यद्यपि वह शान्त था और आसानी से नये मित्र नहीं बनाता था। वह उन्हें जानना चाहती थी। वह चाहती थी कि उसे उसके भाई का ज्यादा प्यार मिले और किसी दिन वह उसे अपने साथ ले जाये। यद्यपि उनके पिता मना करते थे और ज्योफ ने कोई विचार नहीं रखा था, वह जानती थी कि वह उसे कुछ ज्यादा ही छोटी समझता था। और वह अधीर थी। उसे पता था कि बाहर उसके लिए एक बड़ा संसार प्रतीक्षा कर रहा था और अन्तःप्रेरणा से उसे पता था कि उसका मन वहाँ भी उतना ही लगेगा जितना कि उस शहर में जो सदैव उसका घर रहा था। यह स्थान आतुरता के साथ उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। वह वहाँ स्वयं को ज्योफ के पीछे घुड़सवारी करते देखती थी। वह नये चमकीले काले चमडे के कपड़े पहने होता था और वह पीली ड्रेस पहने होती थी जिसमें एक प्रकार का दुपट्टा था जो पीछे-पीछे उड़ता आ रहा था। जब दुनिया उनका स्वागत करने को खड़ी होती तो जय-जयकार की ध्वनि होती थी।

     

    वह अपने हाथ में तैलीय पदार्थ (तेल से सने मोटर साइकिल के पुर्जे) को रखकर उसकी तरफ गुर्रा रहा था, मानो यह कोई छोटा-सा गूंगा जानवर हो और वह उसे बुलवाना चाहता हो।

     

    सोफी ने कहा, “मैं डैनी केसी से मिली थी।

     

    उसने अचानक चारों ओर देखा। कहाँ

     

    मजेदार बात यह है गलियारे में।

     

    यह कभी सच नहीं हो सकता है।

     

    मुझे भी यही लगा था।

     

    क्या तुमने डैडी को बताया?”

     

    उसने ना में सिर हिलाया, उसकी अज्ञानता पर दु:ख जताया कि वह सदैव उसके रहस्य का प्रथम भागीदार होता था।

     

    मैं इस पर विश्वास नहीं करता।

     

    मैं तो रॉयस की खिड़की में कपड़ों को देख रही थी तभी कोई आया और मेरे पास खड़ा हो गया, और मैंने घूमकर देखा तो यह कोई और नहीं बल्कि डैनी केसी था।

     

    ठीक है, वह कैसा लग रहा था?

     

    अरे छोड़ो, तुम्हें पता है वह कैसा लगता है।

     

    मेरा मतलब है करीब से।

     

    अच्छा- उसकी हरी आँखें हैं। सौम्य आँखें और वह इतना लम्बा नहीं है जितना तुम समझते हो….उसने सोचा कि क्या उसे उसके दाँतों के बारे में भी कुछ कहना चाहिए परन्तु उसने ऐसा न करने का निश्चय किया।

     

    उनके पिता जब अन्दर आये तो वे स्नान कर चुके थे और उनका चेहरा और बाँहें चमकीली और गुलाबी थीं और उनमें से साबुन की गन्ध आ रही थी। उन्होंने टेलीविजन चालू किया, छोटे डेरेक का एक जूता अपनी कुर्सी से सोफा पर फेंका और गुर्राते हुए बैठ गया

     

    ज्योफ ने कहा, “सोफी, डैनी केसी से मिली थी।

     

    सोफी मेज पर बैठी छटपटाई।

     

    उसके पिता ने अपनी मोटी गर्दन पर रखे सिर को उसकी ओर देखने के लिए घुमाया। उनका भाव घृणा का था।

     

    ज्योफ ने कहा, “यह सच है।

     

    उसके पिता ने आदरपूर्वक टेलीविजन (टेलीविज़न से नज़रें हटाये बिना) से कहा, “मैं एक बार ऐसे आदमी को जानता था जो टॉम फिनी को जानता था। परन्तु यह बहुत पुरानी बात है।

     

    ज्योफ ने कहा, “आपने हमको बताया था।

     

    किसी दिन केसी भी उतना ही अच्छा हो सकता है।

     

    उससे भी अच्छा। वह सबसे अच्छा है।

     

    यदि वह अपने दिमाग का सही प्रयोग करे। यदि वे उसकी ठीक प्रकार देखभाल करें। आजकल खेल में नवयुवकों के लिए बहुत सारी ध्यान भंग करने वाली चीजें होती हैं।

     

    वह ठीक रहेगा, वह देश की सबसे अच्छी टीम में है।

     

    अभी वह बहुत छोटा है।

     

    वह मुझसे बड़ा है।” 

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    * * * I * * *

    पहले नम्बर की टीम के हिसाब से बहुत छोटा है।

     

    आप इस तरह की योग्यता पर बहस नहीं कर सकते हो।

     

    सोफी ने मेज पर से कहा, “वह एक दुकान खरीदने वाला है।

     

    उसके पिता ने बुरा मुँह बनाया, “तुमने यह कहाँ सुना?”

     

    उसने मुझे ऐसा बताया।

     

    वे कुछ बड़बड़ाये जो सुना न जा सका और स्वयं को अपनी कुर्सी में समेट लिया। यह तुम्हारी कपोल-कल्पित कहानियों में से एक है?’

     

    वह उससे गलियारे में मिली,” ज्योफ ने कहा और उन्हें बताया कि यह सब किस तरह हुआ था।

     

    किसी दिन तुम इन बातों से अपने आप को बहुत बड़ी परेशानी में डाल लोगी।उसके पिता ने गुस्से में कहा।

     

    ज्योफ जानता है कि यह सच है, क्या तुम नहीं जानते ज्योफ?”

     

    वह तुम्हारा विश्वास नहीं करता यद्यपि वह करना चाहेगा।

     

    टेबल लैम्प, उसके भाई के बेडरूम की दीवार पर और अमेरिका की नं. 1 टीम के पोस्टर और उसके नीचे रंगीन फोटोग्राफों की पंक्ति, जिसमें तीन फोटो आयरलैण्ड के विलक्षण प्रतिभासम्पन्न नवयुवक केसी के थे, पर पीली भूरी चमक डाल रही थी।

     

    सोफी ने कहा, “वादा करो, किसी को नहीं बताओगे?”

     

    बताने को कुछ है ही नहीं?”

     

    वादा करो ज्योफ-डैडी मुझे मार डालेंगे।

     

    सिर्फ तभी जब वे यह सोचेंगे कि यह सही था।

     

    प्लीज़ ज्योफ।

     

    हे प्रभु, सोफी, तुम अभी स्कूल में हो। केसी के पीछे लड़कियों की बड़ी संख्या होगी।

     

    नहीं, उसके पीछे नहीं है।

     

    तुम्हें यह कैसे पता लगा?” उसने उपहास किया।

     

    उसने मुझे बताया, ऐसे पता लगा।

     

    मानो कोई भी किसी लड़की को ऐसी बात बतायेगा।

     

    हाँ, उसने बताया। वह ऐसा नहीं है। वह…………..शान्त है।

     

    उतना शान्त नहीं जितना दिखाई पड़ता है।

    * * * II * * *

    ज्योफ, ऐसा कुछ नहीं था पहले मैंने बात शुरू की थी। जब मैंने उसे पहचान लिया तो मैंने कहा क्षमा करें, क्या आप डैनी केसी नहीं हैं?और वह कुछ चकित लगा। और उसने कहा हाँ, यह सच है।और मैं जानती थी यह वही था क्योंकि उसका लहजा वैसा ही था जैसा कि तब था जब उसका टेलीविजन पर साक्षात्कार लिया गया था। इसीलिए छोटे डेरेक के लिए मैंने उससे ऑटोग्राफ माँगा परन्तु हम दोनों में से किसी के पास कागज

    या पेन नहीं था। इसलिए हमने सिर्फ थोडी बातचीत की, रॉयस की खिड़की में रखे कपड़ों के बारे में। वह अकेला लग रहा था। कुल मिलाकर, यह जगह पश्चिमी आयरलैण्ड से बहुत दूर है। और फिर, जब वह जाने लगा, उसने कहा कि यदि मैं उससे अगले सप्ताह मिलूँगी तो तब वह मुझे ऑटोग्राफ देगा। सचमुच मैंने कहा, “मैं मिलूँगी।


    मानो वह कभी दिखाई पडेगा।” “अब तुम मेरा विश्वास करते हो, करते हो न?

     

    कुर्सी के पीछे से उसने अपनी जैकेट खींची जो चमकीली और बेतरतीब थी और अपनी बाँहें उसमें घुसा दी। उसने चाहा वह अपने रूप स्वरूप पर ज्यादा ध्यान दे। चाहा कि वह अपने कपड़ों पर ज्यादा ध्यान दे। वह लम्बा था, उसका चेहरा मजबूत और काला था। खूबसूरत, उसने सोचा।

     

    यह मेरे द्वारा कभी सुनी गई सर्वाधिक असम्भव बात है,” उसने कहा।

     

    शनिवार को वे यूनाइटेड को देखने अपनी साप्ताहिक तीर्थयात्रा (उनके लिए अत्यधिक रोचक स्थान की यात्रा) पर गये। सोफी और उसके पिता और छोटा डेरेक गोल के पास गये ज्योफ सदा की भाँति अपने साथियों के साथ ऊपर गया। यूनाइटेड ने 2-0 से मैच जीता और केसी ने दूसरा गोल किया, केसी आयरलैण्ड की प्रतिभा और भोलेपन का सम्मिश्रण था, उसने पेनल्टी क्षेत्र के कोने पर दो बड़े गोलरक्षकों के चक्कर काटकर गोल बनाया, सोफी के पिता चीखते रहे कि केसी 12 गज की दूरी से पास दो और हिचकिचाने वाले गोलकीपर को परास्त करी। सोफी गर्व से चमक उठी। इसके बाद ज्योफ अति उल्लसित था।

     

    काश, वह एक अंग्रेज होता.किसी ने बस में कहा।

     

    आयरलैण्ट विश्व कप जीतेगा.छोटे डेरेक ने अपनी माँ से उस समय कहा जब सोफी उसे घर लायी। उसके पिता जश्न मनाने पब जा चुके थे।

     

    यह क्या है जो तुम बताती रही हो?अगले सप्ताह जैन्सी ने कहा।

     

    किस बारे में?

     

    तुम्हारे ज्योफ ने हमारे फ्रेन्क को बताया कि तुम डैनी केसी से मिली थीं।

     

    यह कोई जाँच नहीं थी, जैन्सी सिर्फ जानने को बेताब थी। परन्तु सोफी चौंक गई।

     

    अरे, वह।

     

    यह जानते हुए कि वह (सोफी) “बातको छिपा रही है, जैन्सी ने भौहें चढ़ाईं।

     

    अच्छा- हाँ. मैं मिली थी।

     

    क्या तुम कभी नहीं मिली?जैन्सी ने विस्मय के साथ कहा।

     

    सोफी ने जमीन की ओर क्रोधपूर्वक देखा, भाड़ में जाने दो उस ज्योफ को। यह ज्योफ की बात थी, जैन्सी की नहीं। यह सिर्फ उनके बीच की विशेष बात थी। गुप्त बात। यह जैन्सी जैसी बात बिल्कुल नहीं थी। बेढंगी जैन्सी से कुछ ऐसी बात कह दो और पूरा पड़ोस इसे जान लेगा। भाड़ में जाये ज्योफ, क्या कुछ भी पवित्र नहीं था?

     

    यह एक गुप्त बात है गुप्त रखी जाने के लिए।

     

    सोफ, मैं इसे गुप्त ही रखूगी, तुम जानती हो।

     

    किसी को नहीं बताना चाहती थी, यदि मेरे पिताजी को पता चल गया तो फिर वही पुराना झंझट खड़ा हो जायेगा।

     

    जैन्सी ने आँखें मिचकाईं झंझट? मैं समझती हूँ वे तो बहुत अधिक सन्तुष्ट होंगे।

     

    तब उसने महसूस किया कि जैन्सी को उसके फिर से मिलने के वायदे के बारे में कुछ भी पता न था ज्योफ ने उस बारे में नहीं बताया था। उसने राहत की सांस ली। तो कुल मिलाकर ज्योफ ने उसे निराश नहीं किया था। कुल मिलाकर उसने उस पर भरोसा किया। आखिर कुछ चीजें तो पवित्र हो ही सकती हैं।

     

    यह सचमुच छोटी सी बात थी। मैंने उससे ऑटोग्राफ माँगा परन्तु हमारे पास कागज, पेन नहीं था इसलिए इससे कोई फायदा न हुआ। ज्योफ ने कितना बताया?

     

    हे भगवान, काश मैं वहाँ होती।

     

    सचमुच, मेरे पिताजी इस पर विश्वास नहीं करना चाहते थे। तुम जानती हो वह कितनी बड़ी मुसीबत हैं। और मैं बिल्कुल नहीं चाहती कि उनसे पूछने के लिए हमारे घर पर लोगों की कतार लगे, “डैनी केसी वाली क्या बात है?वह मेरा कत्ल कर देंगे। और तुम जानती हो मेरी माँ का क्या हाल होता है जब कोई झंझट होता है।

     

    जैन्सी ने धीरे से कहा, “सोफ, तुम जानती हो, तुम मुझ पर भरोसा कर सकती हो।

     

    अंधेरा होने के बाद वह नहर के किनारे एक सुरक्षित मार्ग पर चली जो मात्र सामने के घाट से जल में पड़ने वाली बल्बों की चमक से प्रकाशित था और शहर की निरन्तर चलने वाली भिनभिनाहट धीमी और दूर थी। यह वह स्थान था जहाँ वह बचपन में अक्सर खेला करती थी। अकले एल्म के वृक्ष के नीचे लकड़ी की बेन्च थी जहाँ कभी-कभी प्रेमी आते थे। वह प्रतीक्षा करने के लिए बैठ गई। उन लोगों के लिए जो दूसरों के द्वारा देखे जाना नहीं चाहते थे, उनके मिलन के लिए यह स्थान श्रेष्ठ था, ऐसा वह हमेशा सोचती थी। उसे पता था वह पसंद करेगा।

     

    कुछ देर प्रतीक्षा करते हुए उसने कल्पना की कि वह आ रहा था। वह नहर के किनारे देखती रही, उसे परछाइयों से निकलकर आता हुआ देखने के लिए और परिणामस्वरूप अपनी स्वयं की होने वाली उत्तेजनाओं की कल्पना करते हुए। जब कुछ समय गुजर गया तो वह उसके न आने के बारे में भी सोचने लगी।

     

    उसने स्वयं से कहा, मैं यहाँ यह इच्छा करते हुए बैठी हूँ कि डैनी आयेगा, और समय गुजरने का अहसास उसे होता रहा। मैं अपने अन्दर संदेह के कष्टों को आन्दोलित होते महसूस कर रही हूँ, मैं उसकी प्रतीक्षा कर रही हूँ। परन्तु अभी तक उसका कोई संकेत नहीं है। मुझे याद है मैंने ज्योफ को यह कहते सुना कि वह कभी नहीं आयेगा और किसी तरह जब मैंने उन्हें बताया तो किसी ने भी मेरा विश्वास नहीं किया। मैं सोच रही हूँ मैं क्या करूँगी, यदि वह नहीं आया तो मैं उन्हें क्या बता सकती हूँ? परन्तु हम जानते हैं कि बात क्या थी, डैनी और मैं-यही मुख्य बात है। आप इसमें कुछ नहीं कर सकते कि लोग किस बात में विश्वास करें और किस में न करें? किन्तु फिर भी, इससे मुझे निराशा होती है, यह जानकर, मैं यह नहीं दिखा सकूँगी कि मुझ पर सन्देह करके उन्होंने गलती की थी।

     

    अपने अन्दर के इस प्रकार बदलावों को भांपती, वह प्रतीक्षा करती रही। सम्पूर्ण आत्मसमर्पण यकायक नहीं हुआ।

    * * * III * * *

    अब मैं दुखी हो गई हँ, उसने सोचा। और इस दुःख को लादे रखना मुश्किल है। यहाँ बैठकर प्रतीक्षा करते रहना, यह जानते हुए भी कि वह नहीं आयेगा, मैं भविष्य को देख सकती हूँ और जान सकती हूँ कि मुझे इस बोझ के साथ कैसे रहना होगा। सचमुच वे मुझ पर सन्देह करेंगे, जैसा कि उन्होंने सदैव मुझ पर सन्देह किया है किन्तु अतीत का ध्यान रखते हुए मुझे अपना सिर ऊँचा रखना होगा। पहले ही मैं देख रही हूँ कि मैं धीरे-धीरे घर लौट रही हूँ और ज्योफ का निराश चेहरा, जब मैं उसे बताऊँगी, “वह नहीं आया, वह डैनी। और वह दरवाजा धड़ाम से बन्द करके बाहर भाग जायेगा। परन्तु हम जानते हैं कि बात कैसी थी।मैं स्वयं से कहूँगी, “डैनी और मैं।यह उदासी बड़ी कठोर चीज है।

     

    उसने गली की जीर्ण-शीर्ण सीढ़ियाँ चढ़ी। शराबखाने के बाहर दीवार के सहारे रखी अपने पिता की साइकिल के पास से गुजरी और वह खुश थी। वह जब घर पहुँचेगी वह घर पर न होंगे।

     

    क्षमा करें, किन्तु क्या आप डैनी केसी नहीं हैं?

     

    बगीचे से आते हुए रॉयस के बाहर फिर से उसने कल्पना की।

     

    लज्जा में थोड़ा लाल पड़ता हुआ वह मुड़ता है, “हाँ, यह सच है।

     

    मैं अपने भाईयों और डैडी के साथ आपको हर सप्ताह देखती हूँ। हमें लगता है आप महान हैं।” –

     

    अरे, ठीक है यह बड़ा अच्छा है।

     

    मैं जानने को उत्सुक हूँ क्या आप एक ऑटोग्राफ साइन करेंगे?

     

    उसकी आँखें उसी तल पर हैं जिस पर आपकी अपनी। उसकी नाक पर धब्बे हैं और थोड़ी-सी ऊपर उठी है और जब वह मुस्कुराता है तो वह शरमाते हुए छिछले दाँतों को दिखाता है।

    उसकी आँखें हरी हैं और वह जब आपकी ओर सीधे देखता है तो वे झिलमिलाती प्रतीत होती हैं। वे सरल लगती हैं, लगभग डरी हुई। एक छोटे हिरन की तरह। और आप उससे निगाह हटा लें, और उसकी आँखें जरा आपके ऊपर घूमने दें तो लौटकर देखने पर आप उन्हें थोड़ा बेचैन पाओगे।

     

    और वह कहता है, “लगता है मेरे पास पेन ही नहीं है।

     

    आप महसूस करते हो आपके पास भी नहीं है।

     

    मेरे भाई बहुत दुखी होंगे,” तुम कहती हो।

     

    और बाद में, तुम बाजार में कोमल, मधुर आवाज को, हरी आँखों की झिलमिलाहट को याद करते हुए, लम्बे समय तक प्रतीक्षा करती हो वहाँ खड़े होकर जहाँ वह खड़ा हुआ था, तुमसे ज्यादा लम्बा नहीं, तुमसे ज्यादा मोटा नहीं। भोला-भाला प्रतिभासम्पन्न व्यक्ति महान डैनी केसी।

     

    और पिछले शनिवार उसने यह सब (अपनी कल्पना में) फिर देखा बेढंगे तरीके से धीरे-धीरे चलते हुए या मदमदाते आगे बढ़ते हुए रक्षकों के पास से प्रेत की तरह निकलते हुए देखा, जब थोड़ी देर वह गेंद के ऊपर मंडराया, पचास हजार लोगों को सांस थामते सुना और फिर धमाकेदार आवाज हुई जब उसने फुर्ती से गेंद को गोल में डाला, तब अचानक उसकी प्रशंसा में उल्लास फूट पड़ा।

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