लेखिका के बारे में

पर्ल साइडेनस्ट्रिकर बक एक अमेरिकी लेखिका थीं जो चीन पर आधारित उनके उपन्यासों के लिए प्रसिद्ध थीं। 1892 के 26 जून को पश्चिम वर्जीनिया के हिल्सबोरो में जन्मी बक ने अपने परिवार के साथ एक शिशु के रूप में चीन जाना था, जो प्रेस्बिटेरियन मिशनरियों थे। शंघाई में अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद, वह वापस अमेरिका लौटी और वर्जीनिया के रैंडोल्फ-मेकॉन महिला कॉलेज में एडमिशन लिया, जहां उन्होंने 1914 में स्नातक उपाधि हासिल की। बक ने 1917 में कृषि अर्थशास्त्री जॉन लॉसिंग बक से विवाह किया और दोनों ने चीन में शिक्षा दी। बक का पहला उपन्यास, "ईस्ट विंड, वेस्ट विंड" 1930 में प्रकाशित हुआ था। उन्होंने "द गुड अर्थ" के साथ विश्वव्यापी पहचान हासिल की, जो 1932 में पुलिट्जर पुरस्कार जीता था और बाद में एक फिल्म के रूप में बनाया गया था। बक ने 1938 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार जीता। बक का 6 मार्च, 1973 को वर्मॉन्ट के डैनबेरी में निधन हो गया।

The Enemy

Before You Read

विश्व युद्ध का समय है। एक अमेरिकी कैदी लहरों के साथ बहते हुए किनारे पर आ जाता है। वह मरने की स्थिति में है। वह एक जापानी डॉक्टर की चौखट पर पाया जाता है। क्या उसे एक डॉक्टर होने के नाते उसे बचाना चाहिए या फिर एक देशभक्त होने के नाते सेना को सौंप देना चाहिए?

डॉ सदाओ होकी का घर जापान के समद्री किनारे के एक स्थान था जहाँ वह बचपन में अक्सर खेले थे। वह पत्थर का बना नीचा, वर्गाकार घर एक ऐसे संकरे समुद्री किनारे के ठीक ऊपर चट्टानों पर स्थित था, जिसके किनारे पर झुके हुए चीड़ के पेड़ थे। लड़कपन में सदाओ अपने नंगे पैरों को चीड़ के पेड़ों पर टिकाते हुए उन पर चढ़ते थे, जैसा कि उन्होंने दक्षिणी समुद्र में लोगों को नारियलों के लिए ऊपर चढ़ते हुए देखा था।

The Enemy  (In Hindi: A Review of the Translation)

उनके पिता उन्हें बहुत बार समुद्रों के द्वीपों पर ले जाते थे, और वह अपने बराबर में खड़े उस छोटे बहादुर लड़के सदाओ से हमेशा कहते थे, “वहाँ वे द्वीप, वे जापान के लिए भविष्य की ओर पहला कदम हैं।सदाओ ने गम्भीरतापूर्वक पूछा, “हम उनसे कहाँ कदम रखेंगे?” उनके पिता  उत्तर दिया था, “कौन जानता है ? हमारे भविष्य की सीमा कौन निश्चित कर सकता है ? यह तो इस बात पर निर्भर करता है कि हम इसे कैसा बनाते हैं।

सदाओ ने यह बात अपने मस्तिष्क में बैठा ली थी क्योंकि वह अपने पिता की कही प्रत्येक बात मानते थे, अपने ऐसे पिता की जो कभी उनसे मज़ाक नहीं करते थे, न ही उनके साथ खेलते थे, लेकिन जो अपने एकमात्र पुत्र के लिए असीमित कष्ट उठाते थे। सदाओ जानते थे कि उनके पिता उनकी शिक्षा की सबसे अधिक परवाह करते हैं।

इस कारण से उन्हें सर्जरी और दवाइयों के बारे में सब कुछ सीखने के लिए बाईस वर्ष की आयु में अमेरिका भेजा गया था। वह तीस वर्ष की आयु में वापस लौटे थे, और उनके पिता ने अपनी मृत्यु से पहले उन्हें न केवल एक सर्जन बल्कि एक वैज्ञानिक के रूप में भी प्रसिद्ध होते हुए देख लिया था।

चूँकि वह एक ऐसी खोज को पूरा कर रहे थे जो घावों को पूरी तरह साफ बना देती, इसलिए उन्हें सैनिकों के साथ विदेश नहीं भेजा गया था। साथ ही, वह जानते थे कि इस बात का हल्का-सा खतरा था कि वृद्ध जनरल को एक ऐसी स्थिति के लिए ऑपरेशन की आवश्यकता पड़ सकती थी जिसके लिए अभी उसका दवाइयों से इलाज किया जा रहा था, और इस सम्भावना को ध्यान में रखते हुए सदाओ को जापान में रखा जा रहा था।

अब समुद्र से बादल उठ रहे थे । पिछले कुछ दिनों की अप्रत्याशित गर्मी, रात में सर्द लहरों से घना कोहरा ले आई थी। सदाओ धुंध को समुद्र के किनारे के पास स्थित एक छोटे-से द्वीप की बाहरी सीमा को ढकते हुए और फिर रेंगते हुए घर के नीचे समुद्र के किनारे पर आकर चीड़ के पेड़ों से लिपटते हुए देख रहे थे। कुछ मिनटों में कोहरा उनके घर को भी घेर लेने वाला था। तब वह कमरे में जाते, जहाँ उनकी पत्नी हाना उनके दो बच्चों के साथ उनकी प्रतीक्षा कर रही थी।

लेकिन इसी क्षण दरवाजा खुला और हाना ने बाहर देखा, वह अपने किमोनो के ऊपर एक गहरे नीले रंग का ऊनी हाओरि पहने हुए थी। वह स्नेहपूर्वक उनके पास आई और उनके हाथ में अपना हाथ डाल दिया जबकि वह खड़े रहे, मुस्कुराये और कुछ नहीं बोले। वह हाना से अमेरिका में मिले थे, लेकिन उन्होंने उसके प्रेम में पड़ने के लिए तब तक प्रतीक्षा की थी जब तक कि उन्हें पक्का विश्वास नहीं हो गया था कि वह जापानी थी। यदि वह शुद्ध प्रजाति की नहीं होती तो उनके पिता उसे कभी स्वीकार नहीं करते।

वह अक्सर सोचते थे कि यदि वह हाना से नहीं मिले होते तो वह किससे विवाह करते, और कैसे सौभाग्य से वह उन्हें अचानक से एक अमेरिकी प्रोफेसर के घर पर मिली थी। वह प्रोफेसर और उसकी पत्नी दयालु व्यक्ति थे, वह अपने जो भी थोड़े-बहुत विदेशी छात्र थे उनके लिए कुछ करने को आतुर रहते थे, और छात्रों को भले ही यह उबाऊ लगता था फिर भी उन्होंने इस दयालुता को स्वीकार कर लिया था।

सदाओ ने हाना को बहुत बार बताया था कि कैसे वह उस रात को प्रोफेसर हार्ले के घर न जाते-जाते भी चले गये थे क्योंकि उनके घर के कमरे बहुत छोटे थे, भोजन बहुत खराब होता था, प्रोफेसर की पत्नी उत्साहित होकर बहुत बोलती थी। लेकिन वह गये थे और वहाँ उन्हें हाना मिली थी जो कि एक नई छात्रा थी, और उन्होंने महसूस किया था कि यदि जरा भी सम्भव हो तो वह उसे प्रेम करेंगे ।

अब सदाओ को अपनी बांह पर हाना के हाथ का अहसास हुआ और वह उस आनन्द की ओर जागरूक हुए जो उन्हें अपनी बांह पर उसका हाथ होने से प्राप्त हुआ था, हालांकि उनका विवाह हुए इतने वर्ष हो गये थे कि अब उनके दो बच्चे थे। क्योंकि उन्होंने लापरवाही से अमेरिका में विवाह नहीं किया था। उन्होंने स्कूल का अपना कार्य पूरा किया था और जापान में घर आ गये थे, और जब उनके पिता ने हाना को देखा था तो उनका विवाह परम्परागत जापानी तरीके से तय हुआ था, हालांकि सदाओ और हाना ने पहले ही सब कुछ तय कर लिया था। वे पूर्णतः खुश थे। हाना ने अपना गाल उनकी बांह पर टिका दिया।

इसी पल उन दोनों ने धुंध में से किसी काली चीज़ को बाहर आते देखा। वह एक आदमी था। उसे समुद्र से बाहर फेंक दिया गया था ऐसा लगता था किसी बड़ी लहर ने उसे बाहर उछाल दिया था। वह कुछ कदम लड़खड़ाया, धुंध में उसकी आकृति-सी दिखाई दी, उसके हाथ उसके सिर के ऊपर उठे हुए थे, फिर चक्कर काटती हुई धुंध ने उसे पुनः छिपा लिया।

हाना चिल्लाई, “वह कौन है,” उसने सदाओ का हाथ छोड़ दिया और वे दोनों बरामदे की रेलिंग पर झुक गये। अब उन्होंने पुनः उसे देखा। वह आदमी अपने हाथों और घुटनों पर रेंग रहा था। फिर उन्होंने देखा कि वह मुँह के बल गिर गया और वहाँ लेट गया।

सदाओ ने कहा, “शायद कोई मछुआरा होगा जो अपनी नाव से बहकर इधर आ गया होगा।यह कहते हुए वह तेजी से सीढ़ियों से उतरे और उनके पीछे-पीछे हाना आई, उसकी चौड़ी आस्तीनें लहरा रही थीं। दोनों ओर एक-दो मील की दूरी पर मछुआरों के गाँव थे, परन्तु यहाँ तो मात्र खाली और सुनसान किनारा था, जो कि चट्टानों के कारण खतरनाक था। किनारे के उस ओर की समुद्री फेन चट्टानों के कारण नुकीली थी। किसी तरह वह आदमी उनसे होकर आ गया था वह अवश्य ही बुरी तरह घायल होगा । जब वे उसकी ओर आये तो उन्होंने देखा कि वास्तव में ऐसा ही था। उसके एक ओर लगी रेत पर पहले ही एक लाल धब्बा था जो रक्त को सोखने के कारण बना होगा। सदाओ ने कहा, “वह घायल है।

वह जल्दी से उस आदमी के पास गये जो बिना हिले-डुले लेटा हुआ था, उसका चेहरा रेत में था। उसके सिर पर एक पुरानी टोपी टिकी हुई थी जो समुद्र का पानी सोखे हुए थी। वह गीले फटे-पुराने कपड़ों में था। सदाओ रुके, हाना उनके बराबर में थी, और उन्होंने उस आदमी का सिर घुमाया। उन्होंने उसका चेहरा देखा। हाना फुसफुसायी, “एक श्वेत आदमी।

हाँ, यह एक श्वेत आदमी था। उसकी गीली टोपी एक ओर को गिर पड़ी और उसके भीगे पीले. बाल दिखाई दिये, उसके बाल लम्बे थे जैसे कि कई सप्ताह से कटे न हों, और उसके युवा व सताये हुए चेहरे पर एक खुरदुरी पीली दाढ़ी थी। वह बेहोश था और कुछ नहीं जानता था कि उन्होंने उसके लिए क्या किया था। अब सदाओ को घाव की याद आई, और वह अपनी अनुभवी व कुशल उंगलियों से घाव को खोजने लगे।

उनके स्पर्श से घाव से ताजा रक्त बह निकला। सदाओ ने उसकी कमर के निचले भाग पर दाहिनी ओर देखा कि एक बन्दूक का घाव पुनः खुल गया था। माँस बारूद के कारण काला पड़ गया था। किसी समय, अधिक दिनों पहले नहीं, उस आदमी को गोली लगी थी और उसकी देखभाल नहीं की गई थी। यह दुर्भाग्य ही था कि चट्टान उसी घाव से टकरा गई थी।

हाना पुनः गम्भीर आवाज में फुसफुसायी, “अरे, इसका कितना खून बह रहा है। अब धुंध ने उन्हें पूरी तरह ढक लिया, और दिन के उस समय कोई भी उधर नहीं आ रहा था मछुआरे घर जा चुके थे और कभी-कभी आने वाले किनारे पर खोजने वालों को लगा होगा कि शाम हो गई है। सदाओ बुदबुदाये, “हम इस आदमी का क्या करें ?” लेकिन ऐसा लग रहा था कि उनके प्रशिक्षित हाथ अपनी मर्जी से चल रहे थे, वे उस आदमी के रक्त के भयावह बहाव को रोकने का हर सम्भव प्रयास कर रहे थे। उन्होंने घाव को समुद्री काई से भर दिया जो किनारे पर फैली हुई थी। वह आदमी अपनी बेहोशी में ही दर्द से कराहा परन्तु जागा नहीं।

The Enemy full chapter with difficult words
The Enemy Summary in English and Hindi
The Enemy Solution/Question-Answer

सदाओ अपनी ही बात का उत्तर देते हुए बोले, “सबसे अच्छा यही होगा कि हम उसे वापस समुद्र में डाल दें।अब जबकि उस क्षण के लिए रक्त का बहाव रुक गया था तो वह खड़े हुए और उन्होंने अपने हाथों से रेत झाडी। हाना अपनी ही धुन में बोली, “हाँ, निस्सन्देह यही सबसे अच्छा होगा।लेकिन वह उस स्थिर आदमी को टकटकी लगाकर देखती रही।

सदाओ ने कहा, “यदि हम एक श्वेत आदमी को अपने घर में शरण दें तो हम गिरफ्तार हो जायेंगे और यदि हम उसे एक कैदी के रूप में सौंप दें तो वह निश्चित ही मर जायेगा।हाना ने कहा, “सर्वाधिक दयालुता का काम यही होगा कि हम उसे वापस समुद्र में छोड़ दें। लेकिन उनमें से कोई भी नहीं हिला। वे उस स्थिर आकृति को एक कौतूहल भरी नापसन्दगी के भाव से टकटकी लगाकर देख रहे थे।

हाना फुसफुसायी, “यह किस देश का है?” सदाओ ने कहा, “यह कुछ-कुछ अमेरिकी लगता है।उन्होंने उसकी फटी हुई टोपी हाथ में ली, वहाँ, लगभग मिट चुके, धुंधले शब्द थे। वह बोले किसी अमेरिकी युद्धपोत का नाविक।उन्होंने लिखावट को पढ़ा : अमेरिकी नौसेना। वह व्यक्ति एक युद्धबन्दी था। हाना धीरे से चीखी, “वह बचकर भाग निकला है, और इसीलिए वह घायल है।

सदाओ ने सहमत होते हुए कहा, “पीठ में”, घायल होने का यही कारण है। वे एक-दूसरे को देखते हुए सकुचाये। फिर हाना दृढ़ निश्चय के साथ बोली : आओ, क्या हम इसे वापस समुद्र में छोड़ सकते हैं ?” सदाओ ने पूछा, “यदि मैं ऐसा कर सकता हूँ तो क्या तुम ऐसा करने को तैयार हो?” हाना ने कहा, “नहीं, लेकिन यदि तुम अकेले ऐसा कर पाओ.. सदाओ फिर हिचकिचाये। उन्होंने कहा, “अजीब बात यह है कि यदि यह व्यक्ति पूर्णतः स्वस्थ होता तो मैं इसे बिना परेशानी के पुलिस को सौंप सकता था। मुझे इसकी ज़रा भी चिन्ता नहीं है। यह मेरा शत्रु है। सारे अमेरिकी मेरे दुश्मन हैं। और यह मात्र एक सामान्य व्यक्ति है। तुम देख रही हो इसका चेहरा कितना मूर्खतापूर्ण है।

लेकिन क्योंकि यह घायल है………” हाना बोली, “तुम भी इसे वापस समुद्र में नहीं डाल सकते हो। तो बस एक काम किया जा सकता है। हम इसे घर के अन्दर ले चलते हैं।सदाओ ने पूछा, “लेकिन नौकर लोग?” “हम सीधे-सादे उन्हें बता देंगे कि हमारा इरादा इसे पुलिस को सौंपने का है जैसा कि हमें वास्तव में करना चाहिए, सदाओ। हमें बच्चों के बारे में और समाज में तुम्हारी स्थिति के बारे में भी सोचना चाहिए। यदि हम इस व्यक्ति को एक युद्धबन्दी के रूप में नहीं सौंपते हैं तो हम सब खतरे में पड़ जायेंगे।सदाओ ने सहमत होते हुए कहा, “निश्चित ही, मैं इसके अलावा कुछ और करने की सोच भी नहीं सकता हूँ।

इस प्रकार, सहमत होकर उन्होंने साथ मिलकर उस आदमी को उठाया। वह बहुत हल्का था, एक ऐसी छोटी-सी चिड़िया की तरह जिसे एक लम्बे समय तक आधा भूखा रखा गया हो जब तक कि उसके केवल पंख और हड्डियों का ढाँचा शेष न रह जाये। इस तरह, वे उसे सीढ़ियों से ऊपर घर के एक ओर बने एक दरवाजे के अन्दर ले गये, ले जाते समय उसकी बाहें लटकी हुई थीं। यह दरवाजा एक बरामदे में खुलता था और उस बरामदे को पार करके वे उस व्यक्ति को एक खाली सोने के कमरे की ओर ले गये।

यह सदाओ के पिता का सोने का कमरा हुआ करता था और उनकी मृत्यु के बाद से यह प्रयोग में नहीं आया था। उन्होंने उस व्यक्ति को पूरी तरह चटाई बिछे हुए फर्श पर लिटा दिया। यहाँ प्रत्येक वस्तु जापानी थी, सदाओ के पिता को खुश रखने के लिए, जो अपने घर में कभी किसी विदेशी कुर्सी पर नहीं बैठते थे, न ही किसी विदेशी बिस्तर पर सोते थे।

हाना दीवार में बनी अलमारियों की ओर गई और एक दरवाजा खिसकाकर एक मुलायम रजाई निकाली। वह हिचकिचाई। वह रजाई फूलों के प्रिन्ट वाले कपड़े से ढकी थी और उसका अस्तर शुद्ध सफेद रेशम का था। वह परेशानी में बुदबुदायी, “यह व्यक्ति बहुत गन्दा है। सदाओ ने सहमत होते हुए कहा, “हाँ, अच्छा होगा यदि इसे नहला दिया जाये। यदि तुम जाकर गर्म पानी ले आओ तो मैं इसे नहला दूँगा।

वह बोली, “मैं तुम्हारा इसे छूना सहन नहीं कर सकती हूँ। हमें नौकरों को बताना होगा कि वह यहाँ है। मैं अभी युमी को बताती हूँ। वह कुछ देर के लिए बच्चों को छोड़कर इसे नहला देगी।सदाओ ने एक पल के लिए सोचा। फिर वह सहमत होते हुए बोले, “चलो ठीक है, तुम युमी को बता दो और मैं शेष नौकरों को बता दूँगा।

लेकिन उस व्यक्ति के बेहोश चेहरे पर पूरी तरह छाये पीलेपन ने उनके हृदय को इतना पिघला दिया कि पहले उन्होंने झुककर उसकी नब्ज टटोली। नब्ज धीरे-धीरे ही सही परन्तु चल रही थी। उन्होंने उस व्यक्ति के ठण्ड सीने पर अपना हाथ रखा। हृदय भी अभी काम कर रहा था। सदाओ ने सोचते हुए कहा, “यदि इसका ऑपरेशन नहीं किया गया तो यह मर जायेगा। प्रश्न यह है कि क्या इसे दोनों ही स्थितियों में मरना नहीं है।

हाना डर से चीख पड़ी, “इसे बचाने की कोशिश मत करो। यदि यह जीवित रहा तो क्या होगा?” सदाओ उत्तर में बोले, “यदि यह मर गया तो क्या होगा?” वह उस स्थिर पड़े आदमी को टकटकी लगाकर देखते हुए खड़े रहे। इस व्यक्ति में अवश्य ही असाधारण जीवन शक्ति होगी अन्यथा यह अब तक मर गया होता। लेकिन वह बहुत युवा था-शायद अभी पच्चीस वर्ष का भी नहीं होगा।

हाना ने पूछा, “तुम्हारा मतलब इसके ऑपरेशन से मरने से है?” सदाओ ने कहा, “हाँ।हाना ने इस बात पर सन्देह के साथ विचार किया, और जब उसने उत्तर नहीं दिया तो सदाओ मुड़े और बोले, “कुछ भी हो, इसका कुछ तो करना ही है।” “और पहले उसे नहलाना होगा।वह तेजी से कमरे से बाहर गये और हाना उनके पीछे-पीछे आई। वह उस श्वेत आदमी के साथ अकेले स्वयं को नहीं छोड़ना चाहती थी। अमेरिका छोड़ने के बाद उसने यह पहला श्वेत व्यक्ति देखा था और अब इस व्यक्ति का उन लोगों से कोई सम्बन्ध नहीं लग रहा था जिन्हें वह अमेरिका में जानती थी। यहाँ वह उसका शत्रु था, जीवित या मृत दोनों ही स्थितियों में एक मुसीबत।

वह बच्चों के कमरे की ओर मुड़ी और पुकारा, “युमी!लेकिन बच्चों ने उसकी आवाज़ सुन ली और उसे एक क्षण के लिए अन्दर जाकर उन्हें देखकर मुस्कुराना और अपने छोटे लड़के के साथ खेलना पड़ा जो अब लगभग तीन माह का था। बच्चे के मुलायम काले बालों के ऊपर से वह हल्के-से बोली, “युमी मेरे साथ आओ।युमी ने उत्तर दिया, “मैं बच्चे को बिस्तर पर लिटा दूँ। वह तैयार है।

वह युमी के साथ बच्चों के कमरे के बराबर वाले सोने के कमरे में गई और लड़के को अपनी बाहों में लिए खड़ी रही जबकि युमी ने फर्श पर सोने वाली रजाइयाँ बिछायीं और बच्चे को उनके बीच में लिटा दिया। फिर हाना तेज कदमों से और बिना कोई आहट किये रसोई में गई। जो उनके मालिक ने उन्हें अभी बताया था, उससे दोनों नौकर सहमे हुए थे। बूढ़े माली ने, जो कि घर का नौकर भी था, अपनी मूंछ के जो थोड़े से बाल थे वे भी खींच लिये। उसने हाना से दो टूक कह दिया, “मालिक को इस श्वेत आदमी के घाव का इलाज नहीं करना चाहिए। इस श्वेत आदमी को मर जाना चाहिए। पहले इसे गोली लगी। फिर समुद्र ने इसे पकड़ लिया और अपनी चट्टानों से चोट पहुँचाई। यदि मालिक बन्दूक और समुद्र के किये घावों को ठीक करते हैं तो वे (बन्दूक और समुद्र) हमसे बदला लेंगे।हाना ने शिष्टता से उत्तर दिया मैं तुम्हारी कही बात उन्हें बता दूँगी। लेकिन वह स्वयं भी डरी हुई थी, हालांकि वह उस बूढ़े व्यक्ति की तरह अन्धविश्वासी नहीं थी। क्या एक शत्रु की सहायता करने से कभी भला हो सकता है! फिर भी उसने युमी से गर्म पानी लेकर उस कमरे में आने को कहा जहाँ वह श्वेत आदमी था।

वह सीधे गई और कमरे के बीच के Partion screen को पीछे खिसकाया। सदाओ अभी वहाँ नहीं थे। युमी उसके पीछे-पीछे आई और उसने अपनी लकड़ी की बाल्टी नीचे रख दी। फिर वह उस श्वेत आदमी के पास गई। जब युमी ने उसे देखा तो उसके मोटे होंठ जिद में भिंच गये। वह बोली, “मैंने कभी किसी श्वेत आदमी को साफ नहीं किया है और अब मैं इस इतने गन्दे श्वेत आदमी को साफ नहीं करूंगी।

हाना कठोरता से उस पर चिल्लाई। वह बोली, “तुम वह सब करोगी जो तुम्हारा मालिक तुम्हें आदेश देगा।युमी के गोल भावहीन चेहरे पर विरोध का ऐसा हिंसक भाव आया कि हाना अकारण ही डर गई। आखिरकार, यदि नौकर कुछ बता दें तो क्या वे उससे उल्टी बात नहीं बतायेंगे जैसा कि वास्तव में हुआ था?

वह सम्मान के साथ बोली, “तुम क्या समझती हो? हम उसे केवल इसलिए होश में लाना चाहते हैं ताकि हम उसे एक कैदी के रूप में सौंप सकें। युमी ने कहा, “मुझे इससे कोई मतलब नहीं है, मैं एक गरीब व्यक्ति हूँ और यह मेरा कार्य नहीं है।हाना ने विनम्रता से कहा, “तो कृपया वापस अपना काम करो।युमी तुरन्त कमरे से निकल गई। लेकिन इससे हाना उस श्वेत आदमी के साथ अकेली रह गई। यदि युमी की हठ पर आये उसके क्रोध ने उसे न थामे रखा होता तो हाना इतनी डरी होती कि वह वहाँ नहीं रह पाती। वह बहुत गुस्से से बुदबुदायी, “मूर्ख युमी! क्या यह इन्सान नहीं है? और एक घायल असहाय इन्सान!

अपनी स्वयं की श्रेष्ठता के दृढ़ विश्वास में वह आवेग में झुकी और उन बँधे हुए फटे-पुराने कपड़ों को खोल दिया जिनसे वह श्वेत आदमी ढका हुआ था। जब उसने उसके सीने पर से कपड़े हटा दिये तो उसने युमी के द्वारा लाये हुए छोटे-से साफ तौलिये को भाप निकलते हुए गर्म पानी में डुबाया और सावधानी से उसका चेहरा साफ किया। उस व्यक्ति की त्वचा हालांकि खुली रहने के कारण खुरदुरी हो गई थी फिर भी बहुत अच्छी बनावट की थी और बचपन में अवश्य ही सुनहरे पीले रंग की रही होगी।

इन विचारों में खोई हुई वह, हालांकि अब उस व्यक्ति को वास्तव में अधिक अच्छा नहीं समझ रही थी क्योंकि अब वह बच्चा नहीं था, उसे साफ करती रही जब तक कि उसका ऊपरी शरीर बिल्कुल साफ नहीं हो गया। लेकिन उसकी उसे पलटने की हिम्मत नहीं हुई। सदाओ कहाँ थे! अब जबकि उसका गुस्सा उतर रहा था, और वह फिर चिन्तित थी, वह अपने हाथ गलत तौलिये से पोंछती हुई उठी। फिर यह सोचकर कि कहीं उस व्यक्ति को ठण्ड न लग जाये, उसने उस पर रजाई डाल दी। उसने धीरे से पुकारा, “सदाओ!जब उसने पुकारा, वह अन्दर आने ही वाले थे। उनका हाथ दरवाजे पर ही था और अब उन्होंने दरवाजा खोला। उसने देखा कि वह अपना सर्जरी वाला आपातस्थिति में काम आने वाला बैग लाये थे और अपना सर्जन का कोट पहने हुए थे। वह चीखी, “तुमने ऑपरेशन करने का निर्णय कर लिया है।उन्होंने बस इतना कहा, “हाँ।उन्होंने उसकी ओर से पीठ फेरी और टोकोनोमा ऍलकोव के फर्श पर एक कीटाणुरहित किया गया तौलिया खोला, और उस पर अपने औजार बाहर रख दिये। उन्होंने बस इतना कहा, “तौलिये लाओ।

वह आज्ञा का पालन करते हुए लिनेन (एक प्रकार का मुलायम कपड़ा) के खानों के पास गई और तौलिये निकाले, इस समय उसे बहुत चिन्ता हो रही थी। उसने सोचा कि कुछ पुराने चटाई के टुकड़े भी होने चाहिएं जिससे कि फर्श पर बिछी सुन्दर चटाई खराब न हो। वह बाहर पीछे की ओर बने बरामदे में गई, जहाँ माली चटाई की पट्टियाँ रखता था जो ठण्डी रातों में कोमल झाड़ियों को ढकने के काम आती थीं, और वह एक हाथ में वे पट्टियाँ ले आई।

लेकिन जब वह वापस कमरे में गई तो उसने देखा कि चटाई की पट्टियाँ लाना बेकार ही रहा। उस व्यक्ति के घाव के भराव से रिसकर खून पहले ही बाहर आ चुका था और इसने उसके नीचे बिछी चटाई को खराब कर दिया था। वह चिल्लाई, “अरे, चटाई!सदाओ ने मानो लापरवाही से उत्तर दिया, “हाँ, यह खराब हो गई है।उन्होंने उसे आदेश दिया, “इसे पलटने में मेरी सहायता करो।

उसने बिना कुछ कहे उनकी बात मानी, और उन्होंने सावधानी से उसकी कमर को साफ करना शुरू कर दिया। वह बोली, “युमी ने इसे साफ नहीं किया।सदाओ ने अपनी तेज व सटीक गतिविधियों से एक पल के लिए भी न रुकते हुए पूछा, “तो फिर क्या तुमने इसे साफ किया?” वह बोली, “हाँ।

ऐसा लगा उन्होंने उसकी बात नहीं सुनी। लेकिन उसे उनके काम करते समय इस तरह तल्लीनता की आदत थी। उसने एक पल के लिए सोचा कि जहाँ तक उनके द्वारा इतनी अच्छी तरह किये जा रहे काम की बात थी, तो क्या उन्हें इस बात से कोई फर्क पड़ता था कि वह किस शरीर पर काम कर रहे थे। उन्होंने कहा, “यदि इसे आवश्यकता हुई तो तुम्हें इसे बेहोशी की दवा देनी होगी।उसने भावशून्यता से दोहराया, “मैं?” पर मैंने कभी यह काम नहीं किया है।उन्होंने अधीरता से कहा, “यह बहुत आसान है।

अब वह उसके घाव का भराव बाहर निकाल रहे थे और खून और तेजी से बहने लगा। उन्होंने अपने माथे पर बँधी चमकीली सर्जन की लाइट से घाव में झाँका। उन्होंने ठण्डी रुचि से कहा गोली अब भी घाव में है। अब मैं सोच रहा हूँ कि चट्टान से बना घाव कितना गहरा है। यदि यह बहुत गहरा नहीं होगा तो शायद मैं गोली निकाल दूंगा। लेकिन खून का बहाव सतही नहीं है। इसका बहुत खून बह गया है।

इस क्षण हाना का गला रुंध गया। डॉ. सदाओ ने ऊपर देखा और ध्यान दिया कि उनकी पत्नी के चेहरे का रंग गंधक जैसा पीला पड़ गया था। उन्होंने तीखेपन से कहा, “बेहोश मत होओ।उन्होंने अपना छानबीन करने वाला औजार नीचे नहीं रखा। यदि मैं इस समय रुक जाऊँगा तो यह आदमी निश्चित ही मर जायेगा।हाना ने अपने हाथों से अपना मुँह भींचा और उछलकर कमरे से बाहर भागी। डॉ. सदाओ ने बाहर बगीचे में उसे उबकाई लेते सुना।

लेकिन उन्होंने अपना काम जारी रखा। उन्होंने सोचा, “उसके लिए अपना पेट खाली करना अच्छा रहेगा। वह भूल गये थे कि वास्तव में उसने कभी कोई ऑपरेशन नहीं देखा था। लेकिन उसकी परेशानी और स्वयं की उसके पास जाने की अक्षमता ने उन्हें तुरन्त उस आदमी के प्रति अधीर और चिड़चिड़ा बना दिया जो उनके चाकू के नीचे मरे हुए की भाँति पड़ा था
उन्होंने सोचा, “यह आदमी”, “दुनिया में इसके जीवित रहने का कोई कारण नहीं है।

अनजाने में ही, इस विचार ने उन्हें निर्दयी बना दिया और वह (अपने काम में) तेजी से आगे बढ़े। वह आदमी अपने बेहोशी में कराहा लेकिन सदाओ ने कोई ध्यान नहीं दिया, सिवाय इसके कि वह उस पर बड़बड़ाये। वह बड़बड़ाये, “कराहो, चाहते हो तो कराहो। मैं यह अपनी खुशी के लिए नहीं कर रहा हूँ। वास्तव में, मुझे पता ही नहीं है कि मैं यह क्यों कर रहा हूँ।

दरवाजा खुला और हाना पुनः वहाँ आ गई। उसने स्पष्ट आवाज में पूछा, “बेहोशी की दवाई कहाँ है?” सदाओ ने अपनी ठोड़ी से इशारा किया। उन्होंने कहा अच्छा हुआ कि तुम वापस आ गईं। यह व्यक्ति हिलने लगा है।उसने अपने हाथ में बोतल और थोड़ी-सी रुई ले ली। उसने पूछा, “लेकिन मैं यह कैसे करूँ?” सदाओ ने एक पल की भी देरी किए बिना अपने कार्य की सूक्ष्म व जटिल जानकारी देते हुए उत्तर दिया, “बस रुई को भिगोकर उसके नथुनों के पास पकड़े रखो। जब इसे सांस लेने में परेशानी हो थोड़ा-सा हटा लेना।

वह उस सोये हुए अमेरिकी नागरिक के चेहरे के पास बैठ गई। उसने सोचा कि यह एक दयनीय रूप से दुबला चेहरा था, और उसके होठ ऐंठे हुए थे। उस आदमी को अहसास हो या न हो पर उसे कष्ट हो रहा था। उसे देखकर हाना ने सोचा कि क्या वे कहानियाँ सच थीं जो वे कभी-कभी बन्दियों के कष्टों के बारे में सुनते थे। वे अफवाह के स्फुरण की भाँति आती थीं, जिन्हें मौखिक रूप में सुनाया जाता था और जिनका सदा विरोध किया जाता था।

समाचार पत्रों में हमेशा ये खबरें रहती थीं कि जापानी सेनाएँ जहाँ भी जाती थीं लोग अपनी स्वतंत्रता पर आनन्द की चीखों के साथ प्रसन्नता से उनका स्वागत करते थे। लेकिन कभी-कभी उसे जनरल ताकिमा जैसे लोग याद आते थे जो घर पर अपनी पत्नी को निर्दयता से पीटता था, यद्यपि कोई भी अब इस बात का उल्लेख नहीं करता था कि उसने मंचूरिया में इतना विजयी युद्ध लड़ा था। यदि उसके जैसा कोई व्यक्ति अपने अधीन एक स्त्री के प्रति इतना निर्दयी हो सकता है, तो क्या वह उदाहरण के लिए इस जैसे व्यक्ति के प्रति निर्दयी नहीं होगा?

उसने चिन्ता से आशा की कि इस आदमी को यातनाएँ न दी गई हों। इसी क्षण उसने उसके कान के ठीक नीचे गर्दन पर घाव के गहरे लाल निशान देखे। वह अपनी नजरें सदाओ की ओर उठाते हुए बुदबुदायी, “ये निशानलेकिन उन्होंने उत्तर नहीं दिया। इस क्षण उन्हें महसूस हुआ कि उनके औजार की नोंक (उस आदमी के) गुर्दे के पास खतरनाक रूप से किसी कठोर चीज से टकरायी। वह विचारशन्य हो गये। उन्हें मात्र शुद्ध आनन्द की अनुभूति हुई।

उन्होंने अपनी उंगलियों से कोमलता से टटोला, जो कि मानव शरीर के प्रत्येक सूक्ष्म भाग से परिचित थीं। उनके शरीर रचना विज्ञान के वृद्ध अमेरिकी प्रोफेसर ने उनका यह ज्ञान परखा था। मानव शरीर का ज्ञान न होना एक सर्जन का सबसे बड़ा पाप है, श्रीमान्!वह प्रत्येक वर्ष अपनी कक्षाओं में गरजा करते थे। शरीर के इस प्रकार के सम्पूर्ण ज्ञान के बिना, जैसे कि आपने स्वयं शरीर को बनाया हो, ऑपरेशन करना हत्या से कुछ कम नहीं है।

सदाओ बड़बड़ाये मेरे मित्र, यह गोली गुर्दे पर जरा भी नहीं है।जब वह ऑपरेशन में खो जाते थे तो उनकी अपने मरीज से बड़बड़ाने की आदत थी। वह हमेशा अपने मरीजों को मेरे मित्रकहकर पुकारते थे और इस समय भी, यह भूलकर कि यह व्यक्ति उनका शत्रु है, उन्होंने ऐसा ही किया।

फिर तेजी से, सबसे सफाई के साथ और सबसे सटीक चीरे के साथ उन्होंने गोली बाहर निकाल दी। वह आदमी काँपा किन्तु वह अब भी बेहोश था। फिर भी वह कुछ अंग्रेजी शब्द बुदबुदाया।
वह रुंधे हुए गले से बुदबुदाया अंतड़ियाँ, उन्होंने निकाल ली…………मेरी अंतड़ियाँ।हाना तेजी से चिल्लाई, “सदाओ!सदाओ ने कहा, “चुप रहो!

वह आदमी फिर से इतनी गहरी शान्ति में डूब गया कि सदाओ ने उसकी कलाई उठाई, उसके स्पर्श से नफरत करते हुए कहा हाँ, नब्ज थी, बहुत धीमी, बहुत कमजोर, पर यदि वह उस आदमी को जीवित रखना चाहते थे तो आशा बँधाने के लिए काफी थी।

उन्होंने सोचा, “पर निश्चित रूप से मैं इस आदमी को जीवित रखना नहीं चाहता हूँ।उन्होंने हाना से कहा, “और बेहोशी की दवाई नहीं।वह इतनी तेजी से मुड़े जैसे कि वह कभी रुके ही न हों और उन्होंने अपनी दवाइयों में से एक छोटी-सी शीशी चुनी और इससे एक इन्जेक्शन देने वाली सिरिंज भरी व इसे मरीज की बाँई बाँह में घुसा दिया। फिर सुई को नीचे रखकर, उन्होंने पुनः उस आदमी की कलाई पकड़ी। उनकी उंगली के नीचे नब्ज एक दो बार फड़फड़ाई फिर मजबूत होती गई। उन्होंने हाना से कहा, “इस सब जब वह नवयुवक जागा तो वह बहुत कमजोर था, जब उसे पता लगा कि वह कहाँ था तो उसकी नीली आँखें इतनी भयभीत दिखीं कि हाना ने स्वयं को माफी मांगने के लिए बाध्य अनुभव किया। उसने स्वयं उसे भोजन परोसा, क्योंकि कोई भी नौकर कमरे में नहीं आता। जब वह पहली बार अन्दर आई तो उसने देखा कि वह किसी भयावह चीज के लिए तैयार होने के लिए अपनी थोड़ी-बहुत शक्ति बटोर रहा था।

उसने उससे विनम्रता से निवेदन किया, “डरो मत!वह आश्चर्य से बोला, “तुम अंग्रेजी कैसे बोलती हो?” उसने उत्तर दिया, “मैं काफी समय अमेरिका में रही हूँ।” ‘ उसने देखा कि वह उस बात का उत्तर देना चाहता था परन्तु दे नहीं पाया। इसलिए वह घुटनों के बल झुकी और चीनी मिट्टी की चम्मच से विनम्रतापूर्वक उसे खाना खिलाया। उसने अनिच्छापूर्वक ही सही पर खाया।

हालाँकि वह उसे पसन्द नहीं करती थी, फिर भी उसे सान्त्वना देने के लिए पिघलती हुई वह बोली, “अब तुममें जल्दी ही ताकत आ जायेगी।उसने उत्तर नहीं दिया। जब सदाओ ऑपरेशन के बाद तीसरे दिन अन्दर आये तो उन्होंने उस नवयुवक को बैठे हुए पाया, उसका चेहरा उस बैठने के प्रयास के कारण रक्तहीन हो गया था। सदाओ चिल्लाये, “लेट जाओ। मरना चाहते हो क्या?” उन्होंने जबरदस्ती उस आदमी को धीरे-से और ताकत लगाकर लिटा दिया और उसके घाव की जाँच की। उन्होंने उसे डाँटा, “यदि तुम इस प्रकार का काम करोगे तो तुम मर सकते हो।

The Enemy full chapter with difficult words
The Enemy Summary in English and Hindi
The Enemy Solution/Question-Answer

वह लड़का बुदबुदाया, “तुम मेरे साथ क्या करने वाले हो?” वह इस समय मुश्किल से सत्रह वर्ष का लग रहा था। क्या तुम मुझे पुलिस को सौंपने वाले हो?” एक क्षण के लिए सदाओ ने उत्तर नहीं दिया। उन्होंने अपनी जाँच पूरी की और फिर उस आदमी को रेशमी रजाई ओढ़ा दी। उन्होंने कहा, “मैं स्वयं नहीं जानता हूँ कि मैं तुम्हारे साथ क्या करूँगा। मुझे वास्तव में तुम्हें पुलिस को सौंप देना चाहिए। तुम एक युद्धबन्दी हो नहीं, मुझसे कुछ मत कहो।जब उन्होंने देखा कि वह नवयुवक कुछ बोलने वाला है तो उन्होंने अपना हाथ उठाया और बोले, जब तक मैं न पूछु, मुझे अपना नाम भी मत बताना। उन्होंने एक क्षण के लिए एक-दूसरे को देखा, और उस नवयुवक ने अपनी आँखें बन्द कर लीं और अपना चेहरा दीवार की ओर घुमा लिया। वह मुंह बनाकर हल्के-से बोला, “ठीक है।

दरवाजे के बाहर हाना सदाओ की प्रतीक्षा कर रही थी। वह तुरन्त समझ गये कि वह परेशान है। वह बोली, “सदाओ, युमी ने मुझे बताया है कि नौकरों को ऐसा लग रहा है कि यदि हम इस आदमी को यहाँ और छुपायेंगे तो वे यहाँ नहीं रहेंगे। वह मुझसे कहती है कि तुम और मैं इतने लम्बे समय तक अमेरिका में रहे हैं कि हम पहले अपने देश के बारे में सोचना भूल गये हैं ।वे समझते हैं कि हम अमेरिकियों को चाहते हैं।

सदाओ ने कठोरता से कहा, “यह सच नहीं है। अमेरिकी हमारे शत्रु हैं। लेकिन मुझे इस बात के लिए प्रशिक्षित किया गया है कि यदि मेरे वश में हो तो मैं किसी व्यक्ति को मरने न दूँ।वह चिन्ता से बोली, “नौकर यह बात नहीं समझ सकते हैं।वह सहमत होते हुए बोले, “नहीं

उन दोनों में से कोई भी कुछ और कहने की स्थिति में नहीं लगा, और किसी तरह घर का कार्य धीरे-धीरे चलता रहा। नौकर और अधिक नजर रखने लगे। वे शिष्टाचार बरतने में पहले जैसी ही सावधानी रखते थे, परन्तु उनकी आँखों में अपने मालिकों के प्रति भावशून्यता थी।

एक सुबह बूढ़े माली ने कहा, “यह बात स्पष्ट है कि हमारे मालिक को क्या करना चाहिए।उसने अपना सारा जीवन फूलों के साथ कार्य किया था, और काई का तो वह विशेषज्ञ भी था। उसने सदाओ के पिताजी के लिए जापान के सबसे अच्छे काई के बगीचों में से एक बनाया था, वह उस चमकीले हरे कालीन को लगातार साफ करता रहता था जिससे कि एक भी पत्ती या चीड़ के पेड़ की नुकीली पत्ती उसकी सतह के मखमल को खराब न कर दे। अब उसने बोलते-बोलते एक झाड़ी से एक कली को नोंचते हुए कहा, “मेरे पुराने मालिक का बेटा बहुत अच्छी तरह जानता है कि उसे क्या करना चाहिए। जब वह आदमी मृत्यु के इतना निकट था तो उन्होंने उसका खून क्यों नहीं बह जाने दिया?”

रसोइया घृणापूर्वक बोली, “उस नवयुवक मालिक को जीवन बचाने की अपनी दक्षता पर इतना गर्व है कि वह किसी का भी जीवन बचा लेता है।उसने दक्षता से एक चिड़िया की गर्दन तोड़ी और फड़फड़ाते हुए उस पक्षी को हाथ में पकड़े रखा तथा उसके रक्त को एक विस्टारिया की बेल की जड़ों में बह जाने दिया।

रक्त सबसे अच्छी खाद होता है, और बूढ़ा माली उसे उस रक्त की एक भी बूंद बर्बाद नहीं करने देता। युमी ने दुःखपूर्वक कहा, “हमें बच्चों के बारे में सोचना चाहिए। यदि उनके पिता को देशद्रोह का अपराधी मान लिया जाता है तो उनका क्या भाग्य होगा?”

उन्होंने अपनी बातों को हाना के कानों में पड़ने से रोकने का प्रयत्न नहीं किया, उस समय वह पास ही बरामदे में उस दिन के फूलों को व्यवस्थित करती हुई खड़ी थी, और वह जानती थी कि वे जान-बूझकर ये बातें कर रहे हैं, जिससे कि वह सुन सके। अपने हृदय की गहराई में वह भी जानती थी कि वे सही थे। लेकिन उसका एक और पक्ष भी था जिसे वह स्वयं भी नहीं समझ पा रही थी। ऐसा नहीं था कि वह भावुक होकर उस बन्दी को पसन्द कर रही थी।

वह उसे एक बन्दी के रूप में सोचने लगी थी। उसे वह कल भी अच्छा नहीं लगा था जब उसने भावनाओं के बहाव में कहा था, “जो भी हो, मैं आपको बता देता हूँ कि मेरा नाम टॉम है।उसने बस हल्के-से सिर हिलाया था। उसने उसकी आँखों में अपमानित महसूस करने का भाव देखा था लेकिन वह उसे शान्त करना नहीं चाहती थी। वास्तव में, वह उसके घर में एक बहुत बड़ी मुसीबत था।

जहाँ तक सदाओ की बात है, वह प्रतिदिन घाव की सावधानी से जाँच करते थे। आज प्रातः अन्तिम टाँके भी खोलकर निकाल दिये गये थे, और वह नवयुवक पन्द्रह दिन में पहले की तरह भला-चंगा होने वाला था। सदाओ वापस अपने कार्यालय गये और पुलिस मुख्याधिकारी को इस सारे मामले की सूचना देते हुए सावधानी से एक पत्र टाइप किया।

इक्कीस फरवरी को एक भागा हुआ कैदी मेरे घर के सामने समुद्र के किनारे पर बहकर आ गया।इतना टाइप करके उन्होंने अपनी डेस्क की एक गुप्त दराज खोली और उस अधूरी सूचना को उसमें रख दिया।

उसके बाद सातवें दिन, दो चीजें हुईं। प्रात:काल नौकरों ने साथ-साथ काम छोड़ दिया, उनके सामान बड़ी-बड़ी चौकोर सूती मठरियों में बँधे थे। जब प्रातः हाना उठी तो कुछ काम नहीं हुआ था, घर की सफाई नहीं हुई थी, और भोजन तैयार नहीं हुआ था, और वह समझ गई कि इसका क्या मतलब था। वह दुखी हुई और भयभीत भी, लेकिन मालकिन होने के उसके गर्व ने उसे यह भाव दिखाने नहीं दिया।

इसके बजाय, जब वे रसोईघर में उसके सामने आये तो उसने गरिमापूर्ण ढंग से अपना सिर हिलाया, और उन्हें उनके पैसे दिये और उस सबके लिए धन्यवाद दिया जो उन्होंने उसके लिए किया था। वे रो रहे थे पर वह नहीं रोई। रसोइया और माली ने सदाओ की तब से सेवा की थी जब से वह अपने पिता के घर में एक छोटे लड़के थे, और युमी बच्चों के कारण रो रही थी। वह इतनी दुखी थी कि जाने के बाद वापस दौड़कर हाना के पास आ गई।

यदि बच्चे को आज रात मेरी बहुत अधिक याद आये तो मुझे बुलवा लेना। मैं अपने घर जा रही हूँ और आप जानती हो कि मेरा घर कहाँ है।हाना ने मुस्कुराते हुए कहा, “धन्यवादपरन्तु उसने स्वयं से कहा कि बच्चा कितना ही क्यों न रोये, वह युमी को नहीं बुलवायेगी। उसने नाश्ता बनाया और सदाओ ने बच्चों को संभाला। उन दोनों में से किसी ने भी नौकरों के बारे में बात नहीं की, इस तथ्य के सिवाय कि वे चले गये थे। लेकिन बन्दी के लिए प्रातः का भोजन लाने के बाद हाना वापस सदाओ के पास आई।

उसने उनसे पूछा, “हमें जो करना चाहिए हम उसे स्पष्ट रूप से क्यों नहीं देख पा रहे हैं?” “यहाँ तक कि नौकर भी हमसे अधिक स्पष्ट रूप से देख रहे हैं। हम दूसरे जापानी लोगों से अलग क्यों हैं?”.. सदाओ ने उत्तर नहीं दिया। लेकिन कुछ ही देर बाद वह उस कमरे में गये जहाँ वह बन्दी था और उससे रूखेपन के साथ बोले, “आज तुम अपने पैरों पर खड़े हो सकते हो। मैं चाहता हूँ कि तुम एक बार में केवल पाँच मिनट खड़े रहो। कल तुम इससे दुगुने लम्बे समय तक कोशिश कर सकते हो। अच्छा होगा कि जितनी जल्दी सम्भव हो, तुम्हारी ताकत वापस आ जाये।

उन्होंने उस युवा चेहरे पर भय की झलक देखी जो अभी तक बहुत पीला था। लड़का बड़बड़ाया, “ठीक है।स्पष्ट रूप से उसने कुछ और कहने का पक्का मन बना रखा था। डॉक्टर, मुझे लगता है कि मुझे अपना जीवन बचाने के लिए आपको धन्यवाद देना चाहिए।

सदाओ ने ठण्डेपन से कहा, “इतनी जल्दी मुझे धन्यवाद मत दो। उन्होंने पुनः उस लड़के की आँखों में भय की झलक देखी इतना स्पष्ट जितना कि एक पशु की आँखों में होता है। उसकी गर्दन पर पड़े घावों के निशान एक पल के लिए गहरे लाल रंग के हो गये। वे निशान! वे कैसे बने थे? सदाओ ने यह नहीं पूछा।

दोपहर में, दूसरी बात हुई। ऐसा परिश्रम करती हुई जिसकी कि उसे आदत नहीं थी, हाना ने आधिकारिक वर्दी पहने एक संदेशवाहक को दरवाजे पर आता देखा। उसके हाथ कमजोर पड़ गये और सांस मानो रुक गई। नौकरों ने पहले ही सब कुछ बता दिया होगा। वह हाँफती हुई दौड़कर सदाओ के पास गयी, उसकी स्थिति एक भी शब्द बोल पाने की नहीं थी। लेकिन तब तक वह सन्देशवाहक बगीचे से होते हुए सीधे-सादे उसके पीछे-पीछे आ गया था। उसने असहाय ढंग से उसकी ओर इशारा किया।

सदाओ ने अपनी पुस्तक से ऊपर देखा। वह अपने कार्यालय में थे, जिसका दूसरा भाग बगीचे में खुलता था जिससे कि दक्षिण की ओर से पड़ने वाली धूप मिल सके। उन्होंने संदेशवाहक से पूछा, “क्या बात है?” और फिर उसकी वर्दी देखकर वह खड़े हो गये। उस आदमी ने कहा, “आपको महल में आना है। बूढ़े जनरल को फिर से दर्द हो रहा है।हाना ने सांस लेते हुए कहा, “ओह बस यही बात है!उस संदेशवाहक ने आश्चर्य से कहा, “यही! क्या यह काफी नहीं है ?” वह उत्तर में बोली, “वास्तव में यह काफी है। मुझे खेद है।

जब सदाओ अलविदा कहने के लिए आये, वह रसोईघर में थी, लेकिन कुछ कर नहीं रही थी। बच्चे सोये हुए थे और वह एक क्षण के लिए आराम करने को बैठी हुई थी, वह काम की अपेक्षा अपने डर के कारण अधिक थकी हुई थी। वह बोली, “मुझे लगा वे लोग तुम्हें गिरफ्तार करने आये हैं।उन्होंने उसकी चिन्तित नजरों में नजरें डालकर देखा। उन्होंने परेशानी में कहा, “तुम्हारी खातिर मुझे इस आदमी से छुटकारा पाना होगा। किसी भी तरह मुझे इससे छुटकारा पाना होगा।

सदाओ जनरल से मिलने जाता है।

जनरल ने कमजोरी से कहा, “वास्तव में मैं पूरी तरह समझता हूँ। लेकिन ऐसा इसलिए है क्योंकि मैंने एक समय प्रिंसटन में एक डिग्री ली थी, जो कि बहुत कम जापानियों के पास है।सदाओ ने कहा, “महामहिम, मुझे उस आदमी की जरा भी चिन्ता नहीं है, लेकिन इतनी सफलता के साथ उसका ऑपरेशन करने के बादजनरल बोला, “हाँ, हाँइसी कारण तुम मुझे और अधिक अपरिहार्य लगते हो। स्पष्ट रूप से तुम किसी को भी बचा सकते हो तुम इतने दक्ष हो।

तुम कहते हो कि मैं आज जैसा एक और आघात सहन कर सकता हूँ?” सदाओ ने कहा, “एक से अधिक नहीं।जनरल चिन्ता से बोला, “तो फिर निश्चित रूप से मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दे सकता हूँ। उसका लम्बा पीला जापानी चेहरा भावविहीन हो गया जिसका अर्थ यह था कि वह गहरी सोच में था। जनरल ने अपनी आँखें मूंदते हुए कहा, “तुम गिरफ्तार नहीं हो सकते हो। मान लो तुम्हें मृत्युदण्ड दे दिया जाता है और अगले दिन मेरा ऑपरेशन होना हो!सदाओ ने सलाह दी, “महामहिम, दूसरे सर्जन भी तो हैं।

जनरल ने उत्तर दिया, “मुझे उनमें से किसी पर भी विश्वास नहीं है। उनमें से सबसे अच्छे सर्जन ने जर्मनी में प्रशिक्षण प्राप्त किया है और वे मेरे मर जाने पर भी ऑपरेशन को सफल मानेंगे। उसने आह भरते हुए कहा, “मुझे उनके सोचने के ढंग की परवाह नहीं है। यह दया की बात लगती है कि हम जर्मन निर्दयता को अमेरिकन भावुकता के साथ इससे अधिक अच्छे ढंग से नहीं जोड़ सकते हैं। तो तुम अपने बन्दी को मरवा सकते हो, फिर भी मैं आश्वस्त रह सकता हूँ कि बेहोशी की हालत में तुम जान-बूझकर मुझे नहीं मारोगे।जनरल हँसा। उसका हँसने का ढंग अनोखा था। उसने पूछा, “एक जापानी होने के नाते, क्या तुम इन दो विदेशी तत्वों को एक साथ जोड़ोगे?” सदाओ मुस्कुराये। उन्होंने कहा, “मुझे पक्का विश्वास नहीं है, परन्तु महामहिम, आपकी खातिर मैं कोशिश करने की इच्छा रखता हूँ।

जनरल ने अपना सिर हिलाया। वह बोला, “मैं जाँच का मामला नहीं बनना चाहता हूँ। अचानक उसने स्वयं को कमजोर और जीवन की चिन्ताओं से अभिभूत महसूस किया, उन चिन्ताओं से जो कि एक अधिकारी के रूप में इस तरह के मौकों पर आती थीं जब दोहरी जीत सम्पूर्ण पैसिफ़िक के ऊपर बड़ी जिम्मेदारियाँ डाल देती थी। उसने कुछ चिढ़ के साथ कहा, “बड़े दुर्भाग्य की बात है कि इस आदमी को बहकर तुम्हारी चौखट पर आना था।

सदाओ ने विनम्रता से कहा, “मुझे भी ऐसा ही लगता है।जनरल ने कहा, “सबसे अच्छा यह होगा कि उसे चुपचाप मरवा दिया जाये। तुम्हारे हाथों नहीं पर किसी ऐसे व्यक्ति के द्वारा जो उसे जानता न हो। मेरे अपने निजी मारने वाले हैं। मान लो मैं उनमें से दो को आज रात, या अधिक अच्छा रहे, किसी भी रात, तुम्हारे घर भेज दूं। तुम्हें इसका पता होने की जरूरत नहीं है। अब हल्की गर्मी आ गई है- इससे अधिक स्वाभाविक क्या होगा कि तुम उस श्वेत आदमी के सोते समय उसके कमरे का बगीचे की ओर वाला दरवाजा खुला छोड़ दो?”

सदाओ ने सहमत होते हुए कहा, “निश्चित रूप से यह बहुत स्वाभाविक रहेगा।वास्तव में, वह दरवाजा तो प्रत्येक रात्रि इसी प्रकार खुला हुआ ही रहता है। जनरल ने जंभाई लेते हुए कहा, “अच्छा है, वे बहुत योग्य मारने वाले हैं वे कोई शोर नहीं करते हैं, और वे अन्दर-अन्दर खून बहाने का तरीका जानते हैं। यदि तुम चाहो तो मैं उसके शरीर को भी वहाँ से हटवा सकता हूँ।
सदाओ ने विचार किया। शायद यह सबसे अच्छा हो, महामहिम।

हाना के विषय में सोचते हुये वह सहमत हो गये। सदाओ योजना के बारे में सोचते हुए, जनरल के पास से अपने घर चले गये। इस तरह सब कुछ उनके हाथ से चला जायेगा। वह हाना को कुछ नहीं बतायेंगे, क्योंकि वह घर में मारने वालों के विचार से डर जायेगी और घबरा जायेगी, और फिर भी निश्चित रूप से ऐसे लोग जापान जैसे एक निरंकुश राज्य में आवश्यक थे। शासक लोग अपने विरोधियों से और कैसे निपट सकते थे?

उन्होंने अपने मस्तिष्क में तर्क के अलावा और कोई वातावरण नहीं बनने दिया, उस समय जबकि वह उस कमरे में गये जहाँ वह अमेरिकी बिस्तर में था। लेकिन जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला, वह यह देखकर आश्चर्यचकित हो गये कि वह नवयुवक बिस्तर से बाहर था, और बगीचे में जाने की तैयारी कर रहा था। वह अचानक बोल उठे, “यह क्या है! तुम्हें तुम्हारा कमरा छोड़ने की अनुमति किसने दी?”

टॉम ने प्रसन्नता से कहा, “मुझे अनुमति के लिए प्रतीक्षा करने की आदत नहीं है। आह, मैं फिर से काफी अच्छा महसूस कर रहा हूँ! लेकिन क्या इस ओर की मांसपेशियाँ हमेशा अकड़ी रहेंगी?” सदाओ ने आश्चर्य से पूछा, “ऐसा है?” वह बाकी सब कुछ भूल गये। वह बुदबुदाये, “अब मुझे लगता है मैंने इस चीज़ का इलाज किया था।उन्होंने उस आदमी की शर्ट का किनारा उठाया और ठीक होते हुए घाव को ध्यान से देखा। उन्होंने कहा, यदि व्यायाम से फायदा नहीं हो रहा है तो शायद मालिश से होगा।

उस नवयुवक ने कहा, “इससे मुझे कोई खास फर्क नहीं पड़ता।उसके दाढ़ी के सुनहरे पीले कठोर छोटे बालों के नीचे उसका चेहरा दुबला-पतला था। वह बोला, “कहो, डॉक्टर मुझे आपसे कुछ कहना है। यदि मैं आप जैसे जापानी से न मिला होता तो आज मैं जीवित नहीं होता। मैं यह जानता हूँ।सदाओ ने सिर झुकाया परन्तु बोल नहीं पाये। टॉम गर्मजोशी से कहता गया, “निश्चित रूप से, मैं यह जानता हूँ। एक कुर्सी को पकड़े हुए उसके बड़े, दुबले हाथ, उँगलियों के जोड़ों पर से सफेद थे। मेरा मानना है कि यदि सभी जापानी तुम्हारे जैसे होते तो युद्ध ही नहीं होता।

सदाओ ने कठिनाई से कहा, “शायद, और अब मुझे लगता है कि अच्छा रहेगा तुम वापस बिस्तर पर चले जाओ।उन्होंने उस लड़के को सहारा देकर वापस बिस्तर में लिटाया और फिर झुके। उन्होंने कहा शुभ रात्रि।सदाओ उस रात ठीक से सो नहीं पाये। वह बार-बार जाग जाते, उन्हें लगता कि उन्होंने कदमों की सरसराहट की आवाज सुनी है, कभी लगता कि बगीचे में किसी टहनी के तोड़े जाने की या किसी पत्थर को हटाये जाने की आवाज सुनी है एक ऐसी आवाज जैसे कि कुछ लोगों द्वारा किसी बोझ को ले जाये जाने की हो।

अगली प्रातः उन्होंने अतिथि कक्ष में पहले जाने का बहाना बनाया। यदि वह अमेरिकी जा चुका होता तो वह हाना से सीधे-सादे कह देते कि यह जनरल का निर्देश था। लेकिन जब उन्होंने दरवाजा खोला तो उन्होंने तुरन्त देखा कि तकिये पर वह खुरदरा सुनहरा पीला सिर था। वह नींद में शान्तिपूर्ण ढंग से चलती सांस की आवाज सुन पा रहे थे और उन्होंने चुपचाप दरवाजा पुनः बन्द कर दिया।

उन्होंने हाना से कहा, “वह सोया हुआ है । उसका इस तरह सोना बताता है कि वह लगभग ठीक है ।हाना अपनी पुरानी रट लगाती हुई फुसफुसायी, “हम उसके साथ क्या करेंगे?” सदाओ ने अपना सिर हिलाया। उन्होंने वायदा किया, “मुझे एक-दो दिन में तय करना ही होगा।लेकिन निश्चित रूप से, उन्होंने सोचा, दूसरी रात्रि अवश्य ही वह रात्रि होगी। उस रात्रि तेज हवा चली, और उन्होंने टहनियों के झुकने की और कमरे को दो हिस्सों में बाँटने वाले Partition के खिसकने की आवाजें सुनीं। हाना भी जग गई। उसने पूछा, “क्या हमें जाकर उस बीमारे व्यक्ति का हिस्सा (कमरे का) बन्द नहीं कर देना चाहिए?” सदाओ ने कहा, “नहीं” “अब वह स्वयं अपने लिए यह कर सकता है।

लेकिन अगली प्रातः वह अमेरिकी अब भी वहीं था। तो फिर तीसरी रात्रि अवश्य ही वह रात्रि होगी। हवा हल्की वर्षा में बदल गई और बगीचा, टपकते हुए छज्जों और चलते हुए फव्वारों की आवाजों से भर गया। सदाओ कुछ ठीक से सोये, लेकिन वह एक धड़ाम की आवाज पर जग गये और उछलकर अपने पैरों पर खड़े हो गये। हाना चिल्लाई, “यह क्या था?” उसकी आवाज से बच्चा जग गया और जोर-जोर से रोने लगा। मैं जाकर देखती हूँ।लेकिन उन्होंने उसे पकड़ लिया और हिलने नहीं दिया। वह चिल्लाई, “सदाओ, तुम्हें क्या हुआ है?” वह बुदबुदाये, “मत जाओ, मत जाओ!उनके डर ने उसे भी ग्रस्त कर लिया और वह सांस रोके प्रतीक्षा करती हुई खड़ी रही। वहाँ केवल शान्ति थी। वे साथ-साथ चुपचाप धीरे-से वापस बिस्तर पर चले गये, बच्चा उनके बीच में था। फिर भी जब उन्होंने प्रातः अतिथि कक्ष का दरवाजा खोला तो नवयुवक वहाँ था। वह बहुत प्रसन्न था और पहले ही नहा चुका था और अब खड़ा हुआ था। उसने कल एक रेज़र माँगा था और उसने दाढ़ी बना ली थी और आज उसके गालों पर एक हल्का रंग आ गया था। उसने प्रसन्नता से कहा, “मैं ठीक हूँ।

सदाओ ने अपने थके हुए शरीर पर अपना किमोनो पहना। उन्होंने अचानक तय किया कि वह इस तरह एक भी और रात्रि नहीं काट सकते हैं। ऐसा नहीं था कि उन्हें इस नवयुवक के जीवन की चिन्ता थी। नहीं, बात बस यह थी कि वह तनाव नहीं झेल सकते थे। सदाओ ने सहमति में कहा, “तुम ठीक हो।उन्होंने अपनी आवाज धीमी कर ली। तुम इतने ठीक हो कि मुझे लगता है कि यदि मैं आज रात्रि अपनी नाव, उसमें भोजन और अतिरिक्त कपड़ों के साथ, किनारे पर लगा दूँ तो तुम समुद्री किनारे से कुछ ही दूर स्थित उस छोटे-से द्वीप तक उसे खे सकोगे। यह किनारे से इतना निकट है कि इस पर किला बनाने की आवश्यकता महसूस नहीं की गई है।

इस पर कोई नहीं रहता है क्योंकि तूफान में यह पानी में डूब जाता है। लेकिन यह तूफान का मौसम नहीं है । तुम वहाँ तब तक रह सकते हो जब तक कि तुम किसी कोरिया के मछुआरों की नाव को पास से गुजरते न देख लो। वे द्वीप के बिल्कुल पास से गुजरते हैं क्योंकि वहाँ पानी कई फैथम गहरा है।उस नवयुवक ने धीरे-धीरे समझते हुए नजरें टिकाकर उन्हें देखा। उसने पूछा, “क्या मेरे लिए ऐसा करना जरूरी है?” सदाओ ने विनम्रता से कहा, “मुझे ऐसा लगता है। तुम समझते हो यह बात छुपी नहीं है कि तुम यहाँ मेरे पास हो।

उस नवयुवक ने पूरी बात समझते हुए सिर हिलाया। उसने बस इतना कहा, “ठीक है।सदाओ शाम से पहले दोबारा उससे नहीं मिले। जैसे ही अंधेरा हुआ, वह अपनी मजबूत नाव को घसीटकर किनारे पर ले आये और उन्होंने उसमें भोजन व बोतलबंद पानी रख दिया जो वह दिन में चुपके से खरीद लाये थे, साथ ही उन्होंने उसमें दो रजाइयाँ भी रख दी जो उन्होंने एक सामान गिरवी रखने वाली दुकान से खरीदी थीं।

उन्होंने नाव को पानी में एक खम्भे से बाँध दिया क्योंकि ज्वार-भाटा ऊँचा था। चाँद नहीं चमक रहा था और उन्होंने फ्लैशलाइट के बिना यह सब काम किया। जब वह घर आये तो उन्होंने अन्दर ऐसे प्रवेश किया जैसे कि वह अभी अपने कार्य से लौटे हों, और इसलिए हाना को कुछ पता नहीं चला। रात्रि का भोजन परोसते समय वह बोली, “आज युमी यहाँ आयी थी।यद्यपि वह (हाना) इतनी आधुनिक थी फिर भी वह उनके साथ भोजन नहीं करती थी।

उसने एक लम्बी सांस छोड़ने के साथ कहना जारी रखा, “वह बच्चे से लिपटकर रोई। वह उसे इतना याद करती है।सदाओ ने कहा, “इस विदेशी के जाते ही नौकर वापस आ जायेंगे।उस रात्रि सोने से पहले वह अतिथिकक्ष में गये और सावधानी से उस अमेरिकी का तापमान, उसके घाव की स्थिति, और उसके हृदय व नब्ज की जाँच की। नब्ज अनियमित थी परन्तु ऐसा शायद उत्तेजना के कारण था। उस नवयुवक के होंठ आपस में भिंचे हुए थे और आँखें मानो जल रही थीं। केवल उसकी गर्दन पर घाव के निशान लाल थे। उसने सदाओ से कहा, “मुझे महसूस हो रहा है कि तुम फिर मेरा जीवन बचा रहे हो।

सदाओ ने कहा, “बिल्कुल भी नहीं। बात बस इतनी है कि तुम्हें यहाँ और अधिक समय तक रखना असुविधाजनक है।उस आदमी को फ्लैशलाइट देने में वह बहुत हिचके थे। लेकिन आखिरकार उन्होंने उसे फ्लैशलाइट देने का निश्चय कर लिया था। यह एक छोटी-सी फ्लैशलाइट थी जो उनकी अपनी थी, जिसे वह रात्रि के समय प्रयोग करते थे जब उन्हें (मरीजों के पास) बुलाया जाता था।

उन्होंने कहा, “यदि नाव पकड़ने से पहले तुम्हारा भोजन समाप्त हो जाता है तो बिल्कुल उसी क्षण मुझे दो प्रकाश संकेत देना जब सूर्य क्षितिज पर ढले। अंधेरे में संकेत मत देना, क्योंकि उसे देख लिया जायेगा। तुम्हें पकड़ने के लिए आसानी से ताजी मछली मिल जायेंगी परन्तु तुम्हें उनको कच्चा खाना पड़ेगा। आग लोगों को दिख जायेगी।उस नवयुवक ने सांस लेते हुए कहा, “ठीक है।

अब वह नवयुवक जापानी कपड़े पहने हुए था जो सदाओ ने उसे दिये थे, और अन्तिम क्षण में सदाओ ने उसके सुनहरे पीले सिर पर एक काला कपड़ा लपेट दिया था। सदाओ ने कहा, “अब।उस युवा अमेरिकी ने एक भी शब्द कहे बिना, गर्मजोशी से सदाओ से हाथ मिलाया, और फिर फर्श को पार करके सीढ़ियों से उतरकर बगीचे के अंधकार में चल दिया। एक बार-दोबारा सदाओ ने अपनी फ्लैशलाइट को उसका रास्ता ढूँढने के लिए चमकते हुए देखा। लेकिन उस पर कोई शक नहीं करता। उन्होंने तब तक प्रतीक्षा की जब तक कि किनारे से एक और प्रकाश की चमक दिखाई नहीं दी। फिर उन्होंने कमरे को बीच से बाँटने वाला Screen बन्द कर दिया। उस रात वह सोये।

जनरल ने कमजोर आवाज में पूछा, “तुम कहते हो वह आदमी भाग निकला ?” उसका एक सप्ताह पहले ऑपरेशन हुआ था, एक इमरजेन्सी ऑपरेशन जिसके लिए सदाओ को रात में बुलाया गया था। बारह घण्टे तक सदाओ आश्वस्त नहीं थे कि जनरल जीवित बचेगा। उसकी पित्त की थैली बहुत प्रभावित हो गई थी। फिर वह बूढा व्यक्ति पुनः लम्बी सांस लेने लगा था और भोजन माँगने लगा था।

सदाओ कातिलों के बारे में नहीं पूछ पाये थे। जहाँ तक उन्हें पता था, वे कभी नहीं आये थे। नौकर वापस आ गये थे और युमी ने अतिथिकक्ष की पूरी तरह सफाई कर दी थी और उस श्वेत आदमी की गन्ध को उससे बाहर निकालने के लिए उसमें गन्धक जला दिया था। किसी ने कुछ भी नहीं कहा था। बस माली गुस्से में था क्योंकि वह सही समय पर गुलदाउदी के फूल नहीं लगा पाया था। लेकिन एक सप्ताह बाद सदाओ ने महसूस किया कि जनरल इतना ठीक हो गया है कि उससे बन्दी के बारे में बात की जा सकती है।

अब सदाओ ने कहा, “हाँ महामहिम, वह भाग निकला।वह खाँसे, यह दिखाते हुए कि उन्होंने वह सब नहीं कहा है जो वह कह सकते थे, लेकिन वह जनरल को और परेशान नहीं करना चाहते थे। लेकिन उस बूढ़े आदमी ने अचानक अपनी आँखें खोली।

उसने कुछ शक्ति के साथ कहा, “वह कैदी, क्या मैंने तुमसे वायदा नहीं किया था कि मैं तुम्हारे लिए उसे मरवा दूँगा।सदाओ ने कहा, “हाँ, महामहिम आपने वायदा किया था।उस बूढे व्यक्ति ने आश्चर्य के लहजे में कहा, “ठीक है, ठीक है! मैंने ऐसा वायदा किया था। परन्तु तुम देख ही रहे हो, मैं बहुत कष्ट में था। सच यह है कि मुझे अपने अलावा और कुछ सूझा ही नहीं। संक्षेप में, मैं तुमसे किया गया अपना वायदा भूल गया।सदाओ बड़बड़ाये, “मुझे आश्चर्य हुआ, महामहिम।

जनरल ने कहा, “मैंने निश्चित रूप से बहुत लापरवाही की। लेकिन तुम समझते हो कि यह देशभक्ति या कर्तव्यनिष्ठा की कमी नहीं थी।उसने चिन्ता के भाव से अपने डॉक्टर की ओर देखा। यदि यह मामला प्रकाश में आता है तो तुम यह बात समझते हो न?”

सदाओ ने कहा, “निश्चित रूप से, महामहिम ।उन्होंने अचानक समझ लिया कि जनरल उनकी हथेली में था और यह भी कि इसके परिणामस्वरूप वह पूरी तरह सुरक्षित थे। उन्होंने बूढ़े जनरल से कहा, “मैं आपकी निष्ठा और शत्रु के विरुद्ध आपके उत्साह के लिए शपथ खा सकता हूँ, महामहिम।

जनरल बड़बड़ाया, “तुम एक अच्छे आदमी होऔर उसने अपनी आँखें मूंद लीं। तुम्हें पुरस्कार मिलेगा।लेकिन उस रात्रि धुंधलके-से भरे समुद्र में काला धब्बा तलाशते हुए सदाओ को अपना पुरस्कार मिल गया था। सूर्यास्त के समय कोई प्रकाश का किरण नहीं था। द्वीप पर कोई नहीं था। उनका बन्दी जा चुका था सुरक्षित, निस्सन्देह, क्योंकि उन्होंने ऐसी चेतावनी दी थी कि वह केवल कोरिया की किसी मछुआरों की नाव की प्रतीक्षा करे।

वह एक क्षण बरामदे में खड़े रहे, टकटकी लगाकर बाहर समुद्र को देखते हुए जहाँ से उस रात्रि वह नवयुवक आया, था। और उनके मस्तिष्क में, हालांकि बिना किसी कारण के, वे श्वेत चेहरे उभरे जिन्हें वह जानते थे वह प्रोफेसर जिनके घर पर वह हाना से मिले थे, एक नीरस व्यक्ति, और उनकी पत्नी जो एक मूर्ख बातूनी महिला थी, दयालु बनने की अपनी इच्छा के बावजूद! उन्हें अपने शरीर रचना विज्ञान के वृद्ध अध्यापक याद आये, जो चाकू से दया दिखाने के प्रति इतने आग्रही थे, और फिर उन्हें अपनी मोटी और फूहड़ मकान मालकिन का चेहरा याद आया। उन्हें अमेरिका में रहने का स्थान ढूँढने में बहुत कठिनाई हुई थी क्योंकि वह एक जापानी थे।

अमेरिकी लोग पूर्वाग्रह से भरे थे और स्वयं को उनसे श्रेष्ठ जानते हुए इसमें रहना कठिन था। उन्हें कैसे उस अज्ञानी और गन्दी वृद्ध महिला से घृणा हुई थी जिसने आखिर में उन्हें अपने टूटे-फूटे घर में रहने की अनुमति दे दी थी। उन्होंने एक बार उसके प्रति कृतज्ञ होने का प्रयास किया था क्योंकि उसने उनके अन्तिम वर्ष में उन्हें इन्फ्लूएंजा होने के दौरान उनकी देखभाल की थी, लेकिन यह कठिन था, क्योंकि अपनी दयालुता में वह उनके प्रति कम भावुक नहीं थी, अब उन्हें उस बन्दी का युवा दुबला-पतला चेहरा याद आया-श्वेत और भावुक। उन्होंने सोचा अजीब बात है, मुझे आश्चर्य हो रहा है कि मैं उसे मार क्यों नहीं पाया?”

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