About The Author

Pearl Sydenstricker Buck was an American writer famous for her novels based on China. Born on June 26, 1892, in Hillsboro, West Virginia, Buck moved to China as an infant with her family, who were Presbyterian missionaries. After receiving her early education in Shanghai, she returned to the United States to attend Randolph-Macon Woman's College in Virginia, where she graduated in 1914. Buck married John Lossing Buck, an agricultural economist in 1917, and they both taught in China. Buck's first novel, East Wind, West Wind was published in 1930. She achieved worldwide recognition with The Good Earth, which won the Pulitzer Prize in 1932 and was later made into a film. Buck won the Nobel Prize for Literature in 1938. Buck passed away in Danbury, Vermont, on March 6, 1973.

The Enemy Summary in English

In the story The Enemy, the protagonist, Dr Sadao Hoki, is depicted as a virtuous physician who adheres to traditional Japanese societal demands. He pursued an excellent formal education in America, where he met his wife Hana, whom he waited to confirm her pure Japanese roots before falling in love with her. Due to his exceptional skills, he was not sent to fight in World War II, and the General was treated by him for a condition that required an expert surgeon.

The Enemy (Summary In English And Hindi)

One day, Sadao and Hana discovered a wounded U.S. soldier, who was an enemy to them, washed up on the shore. They were conflicted about what to do, as it was illegal to harbor an American in their country. However, their conscience did not allow them to leave the man unattended. They decided to take him to their house and inform their servants that they would turn him over to the police once he was healed.

The couple laid the American prisoner in Sadao's father's unused room, and an urgent operation was necessary to save his life. The servants were in shock and denial when informed of the situation. Hana had to clean the prisoner herself, as one of the servants refused to do so. During the surgery, Hana was distressed at seeing the man's brutal wounds and felt unable to console her husband, who became more ruthless in his task. After the surgery, Hana served the prisoner herself when he woke up.

After undergoing surgery, the prisoner appeared younger, possibly seventeen, than he did when he was first brought to Dr. Sadao. When the prisoner asked Dr. Sadao what he intended to do with him, the doctor replied that he had not yet decided and asked the prisoner not to engage in casual conversation. Sadao and Hana struggled to manage their servants, who did not want to be involved in their unpatriotic actions. After removing the prisoner's stitches, Sadao estimated that it would take two weeks for the prisoner to fully recover. He wrote a letter to the Chief of police but did not send it.

On the seventh day after the surgery, the servants left the couple, and Dr. Sadao continued to treat the prisoner. When Sadao went to the palace to treat the General, who was suffering from severe pain, he informed him about the wounded prisoner. The General offered to help Sadao by having the prisoner killed with his trusted assassins. Sadao agreed, and the General instructed him to leave the prisoner's door ajar at night.

Dr. Sadao had trouble sleeping for three consecutive nights, fearing that the prisoner would be assassinated. However, each morning, he found that the prisoner was recovering well. On the third day, Sadao told the prisoner that he was strong enough to escape to an island near the coast, where Korean fishermen could help him. Sadao explained that it was no longer a secret that the prisoner was being treated at his home. The prisoner agreed to the plan, and Sadao instructed him on how to survive and escape without getting caught. He also gave the prisoner a flashlight to signal if he needed help.

After the prisoner escaped, Dr. Sadao operated on the General. A week later, when the General was feeling better, Sadao told him that the prisoner had escaped. The General apologized for not following through with the assassination but was preoccupied with his own condition. Sadao played along and assured the General of his loyalty.

That night, as Sadao looked out at the sea, he wondered why he couldn't bring himself to kill the white prisoner. He thought back to his experiences in America and how some people were kind while others were cruel to him.

In the conclusion of "The Enemy," Dr Sadao is torn between his duty as a citizen and his humanitarian obligation to save the life of his enemy, a wounded American prisoner. Despite knowing the potential consequences of treating his enemy, Dr Sadao feels compelled to help him recover. He struggles with the decision to report the arrival of the prisoner to the authorities, as he feels that abandoning a wounded man is morally wrong. Dr Sadao ultimately chooses to help the prisoner escape, which highlights his strong sense of compassion for others. 

The Enemy full chapter with difficult words
The Enemy in Hindi
The Enemy Solution/Question-Answer

The Enemy Summary in Hindi

जापानी तट पर एक स्थान पर डॉक्टर सदाओ होकी का घर वर्गाकार पत्थर से बना हुआ था। इसे तंग समुद्र तट पर, जहां देवदार के पेड़ थे, से काफी ऊँची चट्टानों पर बनाया गया था। सदाओ के पिता को उनके पुत्र की शिक्षा के बारे में गहरी चिंता थी। इसलिए उन्होंने सदाओ को 22 वर्ष की उम्र में अमेरिका भेजा ताकि वह शल्य-चिकित्सा और औषधि विज्ञान के बारे में सब कुछ सीख सके जो वहां पढ़ सकते थे। उन्होने 30 साल की उम्र में वापसी की। अब वह केवल एक शल्यचिकित्सक थे बल्कि एक वैज्ञानिक के रूप में भी प्रसिद्ध थे।

विश्व युद्ध का समय था। जापान और अमेरिका के बीच युद्ध चल रहा था। डॉ. सदाओ को सैनिकों के साथ विदेश भेजने की जगह नहीं दी गई थी। उन्होंने वृद्ध सेनानायक की चिकित्सा की जिसमें एक विशेषज्ञ शल्यचिकित्सक की आवश्यकता हो सकती थी। इसलिए डॉ. सदाओ को जापान में ही रखा गया।

एक शाम सदाओ ने देखा कि धुंध ने तट के समीप एक छोटे द्वीप को अपने आगोश में ले लिया है। फिर यह तट पर रेंगती हुई उनके मकान के नीचे तक गई। उनकी पत्नी हाना बाहर आई और उसने अपना हाथ उनके बाजू पर रखा। इसने उसे प्रसन्नता प्रदान की। फिर उसने अपना गाल उनके बाजू पर लगा दिया।

इसी क्षण उन दोनों ने किसी काली वस्तु को धुंध से बाहर आते हुये देखा। यह एक व्यक्ति था। वह कुछ कदम लड़खड़ाया। फिर छल्लेदार धुंध ने उसे छिपा दिया। हाना तथा सदाओ बरामदे की रेलिंग के ऊपर झुके। उन्होंने एक व्यक्ति को अपने हाथों तथा घुटनों के बल रेंगते हुये देखा। फिर वह मुँह के बल गिर पड़ा तथा वहीं लेटा रहा। उन्होंने सोचा कि यह सम्भवतः कोई मछुआरा होगा जो अपनी नौका से बह गया होगा।

जब वे उसके समीप आये, तो उन्होंने देखा कि वह घायल था और शिथिल पड़ा था। उन्होंने उसका चेहरा देखा। हाना ने कानाफूसी की कि वह एक गोरा व्यक्तिथा। सदाओ जख्म की तलाश करने लगे। उनके स्पर्श से रक्त बह निकला। इस भयावह रक्तस्राव को रोकने के लिये उन्होने समुद्री काई से जख्म को पूरा भर दिया। वह व्यक्ति अचेत था। अपनी बेहोशी में वह पीड़ा से कराहा किन्तु जागा नहीं।

सदाओ बुदबुदाये, ‘हम इस व्यक्ति का क्या करें?’ उन्होने कहा कि सर्वोत्तम बात, जो वे कर सकते थे, वह यह थी कि इस व्यक्ति को पुनः समुद्र में वापस फेंक दें। हाना इससे सहमत हो गई। सदाओ ने स्पष्ट किया कि यह एक कठिन परिस्थिति थी। यदि वे किसी गोरे व्यक्ति को अपने घर में शरण देते, तो वे पकड़े जाते। यदि वे उसे एक कैदी के रूप में सौंपते, तो वह अवश्य मर जाता। वे एक विचित्र विकर्षण से इस अचेत शरीर को घूर-घूर कर देख रहे थे।

फिर उन्होंने यह ज्ञात करने की चेष्टा की कि वह व्यक्ति क्या था। वह अमेरिकन दिखाई पड़ता था। टूटी-फूटी पुरानी टोपी पर हल्के अक्षर थे यू.एस.नेवी वे इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि वह एक अमरीकी युद्धपोत का नाविक था। यह व्यक्ति एक युद्धबंदी था जो किसी तरह बच निकला था तथा उसे पीठ में चोट लगी थी।

हाना ने सदाओ से पूछा कि क्या वे उसे वापस समुद्र में रख पाएंगे। सदाओ हिचकिचाये। यदि यह व्यक्ति ठीक होता, तो उसे बिना किसी कठिनाई के पुलिस को सौंप दिया जाता क्योंकि वह उनका शत्रु था। सभी अमेरिकन उनके शत्रु थे। किन्तु क्योंकि वह घायल था, अतः वे उसे समुद्र में नहीं फेंक सकते थे।

"हाना ने कहा कि अब करने को केवल एक बात शेष थी। उन्हें उसे घर में ले जाना चाहिये। सदाओ अपने सेवकों की प्रतिक्रिया के विषय में विश्वस्त नहीं थे। हाना ने सुझाव दिया कि वे सेवकों को बता देंगे कि उनका इरादा उसे पुलिस को सौंपने का था। उन्होने कहा कि उन्हें ऐसा करना चाहिये, वरना वे सब ख़तरे में पड़ जायेंगे।

उन दोनों ने एक साथ मिल कर उस व्यक्ति को उठाया। वह काफी हल्का था। वे उसे सीढियों से ऊपर तथा गलियारे के बगल वाले द्वार में ले गए। वे उसे एक खाली शयन कक्ष में ले गए। क्योंकि वह व्यक्ति काफी गंदा था, सदाओ ने सुझाव दिया कि उसे धोना चाहिए। यदि वह पानी ले आयेगी तो वह उसे धो देगे। हाना उनका इस व्यक्ति को स्पर्श करना सहन नहीं कर सकती थी। उसने प्रस्ताव किया कि वह नौकरानी यूमी को बताएगी। सदाओ ने अन्य सेवकों को सूचित करने का उत्तरदायित्व लिया।"

अचेत व्यक्ति के चेहरे के पीलेपन ने डॉ. सदाओ को द्रवित कर दिया। वे पहले झुके तथा उसकी नब्ज़ देखे। नब्ज हल्की थी, किन्तु चल रही थी। उन्होने उस व्यक्ति की ठंडी छाती पर हाथ रखा। हृदय भी अभी जीवित था। सदाओ ने कहा कि यदि उसकी शल्यक्रिया नहीं की गई तो वह मर जाएगा। वह व्यक्ति अत्यंत युवा था, शायद वह पच्चीस वर्ष का भी नहीं होगा। पहले उस व्यक्ति को साफ करना था। किन्तु, सेवकों ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। वे नहीं चाहते थे कि उनका स्वामी शत्रु को ठीक करे।

हाना ने उस व्यक्ति को धोया जब तक कि उसके शरीर का ऊपरी भाग पूरा साफ नहीं हो गया। सदाओ ने अपने औज़ार एक जीवाणु रहित तौलिये पर रखे। वे सावधानी से उस व्यक्ति की पीठ धोने लगे। उन्होने हाना से कहा कि यदि आवश्यकता पड़े तो वह उसे चेतनाशून्य करने की औषधि दे दे। उसका रक्त देखकर हाना को अजीब होने लगा। अपने हाथ कस कर मुँह पर रखे वह कमरे से बाहर दौड़ गई। सदाओ ने उसे बाग में उबकाई लेते हुये सुना। उसने पहले कभी शल्य-क्रिया नहीं देखी थी।

हांना को नवयुवक की सेवा के लिए उसके कमरे में प्रवेश करना पड़ा क्योंकि कोई अन्य सेवक उस कमरे में नहीं था। धीरे-धीरे नवयुवक की सेहत बेहतर होने लगी। सेवकों ने तय कर लिया कि अगर उनका मालिक उस शत्रु को कमरे में छुपा कर रखेगा तो वे उसे छोड़कर चले जाएंगे। सातवें दिन सभी सेवक साथ में चले गए जबकि हाना कैदी के लिए सुबह का भोजन ले गयी। वापस आने पर हाना ने सदाओ से पूछा कि वे उस बात को क्यों नहीं समझ रहे हैं जो उन्हें समझनी चाहिए थी।

अपराह्न में सरकारी वर्दी पहने एक सन्देशवाहक आया। उसने तुरंत डॉ. सदाओ को महल में आने के लिए कहा क्योंकि वृद्ध जनरल को पीड़ा हो रही थी। हाना ने चैन की साँस ली। जब सदाओ उसे अलविदा कहने आया, तो उसने भय प्रकट किया कि उसने सोचा था कि वे उसे पकड़ने आये थे। सदाओ ने वादा किया कि वह उस व्यक्ति से पिंड छुड़ाएगा जिसकी उसने शल्य-क्रिया की थी।

सदाओ ने जनरल को उस व्यक्ति के बारे में बताया। जनरल ने स्वीकार किया कि सदाओ उसके लिए अपरिहार्य था। जनरल ने वादा किया कि वह अपने निजी हत्यारे को उस व्यक्ति को मारने तथा उसका शरीर वहाँ से हटाने के लिए भेज देगा। उसने सदाओ से कहा कि जब वह गोरा व्यक्ति सो रहा हो तो उसके कक्ष का बाहरी भाग खुला छोड़ दे।

सदाओ इस योजना के बारे में सोचते हुए अपने घर गये और इसकी जानकारी किसी को नहीं दी। उन्हे उस युवा अमेरिकन को बिस्तर से बाहर तथा बाग में जाने की तैयारी करते हुये देखकर आश्चर्य हुआ। उसने उनसे शिकायत की कि उसके एक तरफ की मांसपेशियां सख्त हैं। उन्होंने बताया कि व्यायाम और मालिश इससे निपटने में मददगार होंगे। फिर उन्होंने अमेरिकी टॉम से कहा कि वह सो जाए। अगली सुबह उन्होंने उसे अतिथि कक्ष में सोते हुए पाया। दूसरी रात भी गुजर गई, नवयुवक उसी स्थान पर था। उसके गालों में हल्की सी रंगत थी, उसने अपनी दाढ़ी स्वयं बनाई थी।

डा. सदाओ ने उसे बताया कि वह उस समय बिल्कुल ठीक था। उन्होने कहा कि वे रात को अपनी नौका तट पर रखेंगे। नौके में भोजन और अतिरिक्त वस्त्र भी होंगे। टॉम उस छोटे द्वीप तक नाव चला सकेगा, जो तट से थोड़ा दूर ही था। वहां कोई किला नहीं बनाया गया था क्योंकि तूफान में वह डूब जाता था। अब तूफान की ऋतु नहीं थी, इसलिए वहां कोई नहीं रहता था। टॉम वहां निवास कर सकता था, जब तक वह कोरियाई मछली पकड़ने की नाव को गुज़रते नहीं देखता।

जैसे ही अंधेरा छा गया, सदाओ ने नवयुवक को बचाने के लिए तैयार करना शुरू किया। उन्होंने उसे अपनी तीव्र प्रकाश वाली बैटरी दी और उससे कहा कि जब उसका भोजन समाप्त हो जाये तो वह सूर्यास्त के समय दो बार प्रकाश की चमक करे। यदि वह ठीक से संकेत दे पाया तो उसे केवल एक बार संकेत देना है। सदाओ ने उसे चेतावनी दी कि अन्धेरे में संकेत दें, क्योंकि यह देखा जा सकता है। बाद में उन्होंने कैदी को जापानी वस्त्र पहनाया और उसके सिर पर काले रंग का एक वस्त्र लपेटा। उसने नाव तक मार्ग ढूंढ़ लिए और सदाओ ने उसका इंतजार किया जब तक वह तट से आने वाली दो बार की चमक नहीं देख ली।

डॉक्टर सदाओ को रात में जनरल की एक आपात सर्जरी के लिए बुलाया गया, जिसमें उन्हें जनरल की पित्त की थैली को हटाना था। बारह घंटे तक सदाओ को विश्वास नही था कि जनरल जीवित रह पाएंगे या नहीं। फिर वे गहरी साँस लेने लगे और भोजन की मांग करने लगे। सदाओ हत्यारों के विषय में नहीं पूछ पाये। जहाँ तक वे जानते थे, वे कभी आये ही नहीं। सेवक लौट आये थे। कक्ष साफ कर दिया गया था।

शल्य-क्रिया के एक सप्ताह के बाद, सदाओ ने जाना कि जनरल की हालत अब पर्याप्त ठीक है ताकि वह कैदी के बारे में बात कर सकें। सदाओ ने जनरल को सूचित किया कि कैदी भाग गया था। जनरल ने डॉक्टर से पूछा कि क्या उन्होने उस व्यक्ति को मारने का वादा नहीं किया था। फिर उसने सत्यता स्वीकार की। वह काफी कष्ट से गुजर रहा था। इसलिए उसने अपनी अन्य बातों को ध्यान नहीं दिया। वह अपना वादा भूल गया था।

उस रात सदाओ ने गोधूलि का इंतजार किया। लेकिन कोई प्रकाश नहीं था। इससे उसने समझा कि उसका कैदी दूर चला गया था और सुरक्षित था। सदाओ अचरज करते रह गये कि वे उस नवयुवक को क्यों नहीं मार पाए। फिर भी, वह समझ गये कि उनके साथ विकर्षक व्यक्तित्व होते हुए भी उन्हें कैदी को सुरक्षित रखना था।

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